सत्ता में होने के कारण भाजपा के अंदर टिकट की मारामारी अधिक है। प्रदेश स्तर के नेताओं की निगाहें भी यहां से टिकट पाने में लगी है तो स्थानीय आशार्थियों की भी लंबी लिस्ट है। एक वरिष्ठ मंत्री के भाई, एक पूर्व विधायक सहित कई नेता टिकट की रेस में हैं। उधर, कांग्रेस में दावेदार खूब हैं, लेकिन पार्टी नेतृत्व पूर्व विधायक मुरारीलाल की तरह मजबूत प्रत्याशी की तलाश कर रहा है। दौसा कांग्रेस में सचिन पायलट का भी प्रभाव है, क्योंकि पायलट परिवार यहां से सात बार सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व कर चुका है।
सियासी गलियारों में इन नामों की चर्चा
सियासी गलियारों में चर्चा है कि किरोड़ी लाल मीणा अपने भाई जगमोहन मीणा को टिकट दिलाने की कोशिश में जुटे हुए है। बीजेपी प्रदेश राधा मोहन दास अग्रवाल के साथ पिछले दिनों हुई उनकी मुलाकात के भी यही मायने निकाले जा रहे है। किरोड़ी मीणा के भाई के अलावा बीजेपी में और भी कई दावेदार है। जिनमें पूर्व विधायक नंदलाल बंशीवाल, हरियाणा ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिरदीचंद शर्मा, पूर्व पालिकाध्यक्ष सुरेश घोसी का नाम प्रमुख हैं।
इधर, कांग्रेस मुरारी लाल मीणा की पत्नी सविता या बेटी निहारिका मीणा पर दांव खेल सकती है। हालांकि, जीआर खटाणा, नरेश मीणा व संदीप शर्मा भी कांग्रेस से टिकट की रेस में बने हुए है। अब देखना ये है कि दोनों ही पार्टी किसको टिकट देती है।
भाजपा के समक्ष बड़ी चुनौती क्यों?
दौसा सीट शुरू से ही राजनीतिक हलकों में चर्चित रही हैं। दोनों ही पार्टियों से कई नेता टिकट की दौड़ में हैं, लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार के समक्ष चुनौती बड़ी है। पिछले दो विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को दौसा से हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में उपचुनाव के टिकट वितरण में जातीय समीकरणों को साधते हुए प्रत्याशी चयन पर मंथन किया जा रहा है।
पूर्व में भाजपा के वरिष्ठ नेता कई बार आकर बैठक ले चुके हैं तथा सदस्यता अभियान व पार्टी को एकजुट रखने का संदेश देकर गए। वहीं कांग्रेस की ओर से कमान सांसद मुरारीलाल मीना ने संभाल रखी है और मंडलवार बैठकें लेकर संगठन को सक्रिय किया जा चुका है। टिकट के दावेदार भी उनके इर्द-गिर्द नजर आ रहे हैं।