दौसा बोरवेल हादसा: दूध की बोतल लेकर रातभर बैठा रहा पिता, मां करती रही लाल की सलामती की दुआ, मगर सबको रुला गया आर्यन
Dausa Borewell Incident: मुझे कुछ नहीं चाहिए… बस मेरा लाल मुझे सलामत ला दो…। आंखों में आंसू लिए आर्यन की मां गुड्डी देवी की जुबां पर बस यही शब्द थे लेकिन आर्यन को जिंदा नहीं निकाला जा सका।
दौसा। मुझे कुछ नहीं चाहिए… बस मेरा लाल मुझे सलामत ला दो…। आंखों में आंसू लिए आर्यन की मां गुड्डी देवी की जुबां पर बस यही शब्द थे लेकिन आर्यन को जिंदा नहीं निकाला जा सका। कालीखाड़ गांव में 3 दिन से बोरवेल में फंसे 5 साल के मासूम आर्यन को बुधवार देर रात करीब पौने बारह बजे बाहर निकाल लिया गया।
मौके से तुरन्त बच्चे को एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम युक्त एंबुलेस से दौसा जिला हॉस्पिटल ले जाया गया। बच्चे आर्यन को बाहर निकालने के लिए करीब 56 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चला। वहीं, बच्चे के पिता जगदीश मीना रातभर हाथ में दूध से भरी बोतल लेकर बोरवेल के समीप इस उम्मीद में बैठे रहे कि तीन दिन से भूखे-प्यासे उनके लाल को कुछ खिला-पिला दूं। बच्चे की चिंता में मां की तबीयत बिगड़ गई।
देर रात इस तरह आर्यन को निकाला
एनडीआरएफ की टीम ने रात करीब 10 बजे एक बार फिर अम्ब्रेला उपकरण, रिंग उपकरण और रस्सी से बंधी हुई तीनों रॉड को बोरवेल में डाला और तीनों को एक साथ खींचते हुए मशक्कत के बाद बच्चे को बाहर निकाल लिया। इससे पहले बुधवार को दिनभर बोरवेल से करीब 6 फीट की दूरी पर ही 155 फीट का नया सुरंगनुमा गड्डा खोदा जा रहा था। गौरतलब है कि आर्यन सोमवार दोपहर 3 बजे खेलते-खेलते खुले बोरवेल में गिर गया था।
पांच भाई-बहनों में आर्यन सबसे छोटा है। उसके एक भाई विजय की तीन साल पहले बीमारी से मौत हो चुकी है। अब वे चार भाई और एक बहन हैं। पिता जगदीश कृषि के साथ मजदूरी भी करते हैं।