दौसा

16वां जन्मदिन…अगले ही दिन स्कूल से मिली मौत की खबर, परिवार बेसुध

बांदीकुई के एक निजी स्कूल में एक छात्र चलते-चलते अचानक बेसुध होकर गिर गया। तत्काल छात्र को बांदीकुई उप जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत बताया

दौसाJul 07, 2024 / 03:41 pm

Kamlesh Sharma

बांदीकुई (दौसा)। बांदीकुई के एक निजी स्कूल में एक छात्र चलते-चलते अचानक बेसुध होकर गिर गया। तत्काल छात्र को बांदीकुई उप जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत बताया। पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई। प्रथमदृष्टया चिकित्सकों ने मौत का कारण साइलेंट अटैक बताया है। पंडितपुरा निवासी दसवीं कक्षा का छात्र यतेन्द्र उपाध्याय शनिवार सुबह करीब 6 बजकर 49 मिनट पर स्कूल के कक्षा कक्ष में जाते समय अचानक गैलरी में गिर गया। स्कूल स्टाफ ने तुरंत विद्यार्थी को संभाला तो वह बेहोशी की हालत में था। परिजन को सूचना देकर छात्र को अस्पताल ले जाया गया।

डॉक्टर बोले-हो सकता है साइलेंट अटैक

बांदीकुई अस्पताल के डॉ. पवन जारवाल ने बताया कि सुबह छात्र को अस्पताल लाया गया। उसे सीपीआर दी गई, लेकिन उसने दम तोड़ दिया। चिकित्सक के अनुसार छात्र के परिजन ने बताया कि छात्र का दो साल पहले जेके लोन अस्पताल में इलाज चला था। कई दिन तक भर्ती रहा था। उस समय चिकित्सकों ने हृदय से संबंधित बीमारी होने की बात कही थी। पोस्टमार्टम कराने पर मौत का सही कारण सामने आता, लेकिन फिर भी साइलेंट अटैक हो सकता है। पुलिस ने बताया कि सूचना पर अस्पताल पहुंचे, जहां परिजनों ने शव का पोस्टमार्टम करवाने से इनकार कर दिया। इस पर आवश्यक कार्रवाई के बाद शव परिजन के सुपुर्द किया गया।

एक दिन पहले ही मनाया था जन्मदिन

छात्र यतेन्द्र उपाध्याय का एक दिन पूर्व ही जन्मदिन था। वह अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। परिजनों ने उसका 16वां जन्मदिन उत्साह से मनाया था। अगले दिन बेटे की मौत का समाचार मिलते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। परिजन बेसुध होकर विलाप करते रहे।

जागरूकता अभियान चलाया जाए

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शशि मोहन शर्मा ने बताया कि किसी भी बच्चे की अचानक मौत होती है तो उसका कारण हार्ट अटैक नहीं हो सकता। इसे अचानक मौत कहेंगे। 16 साल तक के बच्चों में हार्ट संबंधी कई बीमारियां पाई जाती हैं। इनमें जन्मजात हार्ट और रुमेटिक हृदय रोग की आशंका अधिक रहती है। अचानक मौत का कारण यही रोग होते हैं। अभिभावकों को जानकारी नहीं रहती। जरूरी है कि जागरूकता अभियान चलाया जाए। बच्चों की ईको कार्डियोग्राफी जांच होनी चाहिए।

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