आलम ये है कि, मुक्ति धाम न होने की वजह से ग्रामीणों को खुले में ही अपने मृतक का अंतिम संस्कार करना पड़ता है। ये विधा यहां के सिर्फ एक गांव की ही नहीं है, यहां कई गांव मुक्ति धाम का अभाव झेलते हुए अपने मृतकों को कहीं सड़क के किनारे तो कहीं किसी खेत पर अंतिम संस्कार करते दिखाई देते हैं।
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सड़क किनारे किय गया बुजुर्ग का अंतिम संस्कार
शनिवार को दतिया तहसील के ग्राम पलोथर में राजेंद्र पंडा नामक एक बुजुर्ग की मौत हो गई। यहां भी मुक्तिधाम के अभाव में चलते उनके परिजन को मजबूरन उन्हें सड़क किनारे खुले में अंतिम संस्कार करना पड़ा। गांव में मुक्तिधाम न होने से ग्रामीणों को खास तौर पर बरसात के दिनों में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अंतिम संसक्रा में शामिल ग्रामीणों का कहना है कि, कई बार संबंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से इस संबंध में अर्जी भी लगाई है, बवजूद इसके अबतक सिर्फ आश्वासन ही मिल रहे हैं।