दतिया रेलवे स्टेशन पर अप और डाउन दोनों ओर की करीब 44 टे्रनें रुकती हैं। सुबह से ही दोनों तरफ से आने वाली गाडिय़ों का आना-जाना शुरू हो जाता है। हर रोज यहां दो से तीन हजार यात्रियों का आना जाना रहता है। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और दिव्यांग भी आते हैैं। यात्रियों की सुविधा के लिए स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर और दो पर टॉयलेट तो हैं लेकिन प्लेटफार्म नंबर एक पर ग्वालियर एंड की ओर जो महिला और दिव्यांगों के लिए शौचालय बने हैं उनमें अक्सर ताला पड़ा रहता है। अगर जरूरत पड़ती है तो दिव्यांग या महिलाएं पहले स्टेशन प्रबंधक के दफ्तर जाएं। यहां से चाबी मांगें फिर शौचालय की सुविधा मिल पाती है।
टॉयलेट एक छोर पर
रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर जो टॉयलेट दिव्यांग महिलाओं को हैं ये ग्वालियर एंड पर हैं। रेलवे के मुख्य दफ्तर से इसकी काफी दूरीहै। बुकिंग व पूछताछ दफ्तर से काफी दूरी पर है। महिलाओं के लिए झांसी एंड की ओर एकांत में जाना असुविधाजनक होता है।
रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर जो टॉयलेट दिव्यांग महिलाओं को हैं ये ग्वालियर एंड पर हैं। रेलवे के मुख्य दफ्तर से इसकी काफी दूरीहै। बुकिंग व पूछताछ दफ्तर से काफी दूरी पर है। महिलाओं के लिए झांसी एंड की ओर एकांत में जाना असुविधाजनक होता है।
दतिया रेलवे स्टेशन पर अगर इस तरह की दिक्कत है तो संबंधित अधिकारी से बात करके दिखवाया जाएगा। अगर ताले पड़े रहते हैं तो उन्हें खुलवाया जाएगा। यात्रियों को असुविधा नहीं होने दी जाएगी ।
मनोज कुमार सिंह, पीआरओ, झांसी रेल मंडल
मनोज कुमार सिंह, पीआरओ, झांसी रेल मंडल