दतिया

बुरे वक्त में साथ देती हैं देवी मां, राष्ट्रपति से लेकर आम नेता भी हैं माता के भक्त

राष्ट्रपति से लेकर आम नेता तक यहां लगाते हैं अर्जी, जानिए इन दिनों क्यों पहुंच रहे हैं नेता

दतियाMay 16, 2022 / 05:54 pm

Manish Gite

कृष्णन शुक्ला

दतिया। मध्य प्रदेश के दतिया शहर में स्थित है बगलामुखी माता का मंदिर (baglamukhi mandir datia)। आस्था के इस दरबार में सभी प्रकार के लोग आते हैं, लेकिन राजनीति से जुड़े लोग विशेष रूप से इस मंदिर से जुड़े हैं। क्योंकि इस देवी को ‘सत्ता की देवी’ भी कहा जाता है। राजनीति में सफलता पाने के लिए नेता विशेष अनुष्ठान कराते हैं। हाल ही में ग्राम पंचायत और नगरी निकाय होने वाले हैं, इसे लेकर भी सत्ता में आने के लिए नेता मां पीताम्बरा पीठ (shri pitambara peeth) की शरण में पहुंचने लगे हैं।

 

मंदिर की स्थापना

दतिया के राजा शत्रु जीत सिंह बुंदेला ने एक संत के सहयोग से सन 1935 में मां पिताम्बरा पीठ मंदिर की स्थापना की थी। जिस स्थान पर मंदिर की स्थापना हुई, पहले वहां श्मशान हुआ करता था।

 

मंदिर परिसर के अंदर

मंदिर परिसर के भीतर धूमावती देवी मंदिर भी है। यह मंदिर देश में एकमात्र है। इसी परिसर में भगवान परशुराम, हनुमान, काल भैरव और अन्य देवी देवताओं के भी मंदिर हैं।

 

 

राजसत्ता के मामले में सफल है मंदिर

मान्यता है कि यह मंदिर राजसत्ता के लिए बहुत प्रसिद्ध है, इसके अलावा कोई बड़ी विपत्ति से बचाने के लिए भी माता का विशेष अनुष्ठान किया जाता है। मां पीतांबरा पीठ की शक्ति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी यहां विशेष यज्ञ कराया था। सन 1962 की बात है जब भारत पर चीन ने हमला कर दिया था, वहीं दूसरे देशों ने भारत का साथ देने से मना कर दिया था। उस समय इस मुसीबत से बचने के लिए किसी ने नेहरूजी को दतिया में हवन कराने की सलाह दी। नेहरूजी दतिया आए और देश की रक्षा के लिए 21 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के 11वें दिन जब पूर्णाहूति डाली जा रही थी, तभी चीन ने बार्डर से अपनी सेना को वापस बुला लिया। उस समय की यह यज्ञ शाला आज भी मौजूद है। बताते हैं कि इसके बाद जब जब देश पर संकट छाया इस मंदिर में गोपनीय रूप से अनुष्ठान किए गए। भारत-चीन युद्ध के बाद 1965 और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी विशेष अनुष्ठान किए गए थे। यहीं नहीं करगिल युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने भी यहां यज्ञ कराया था। इसमें भी यज्ञ की अंतिम आहुति के अंतिम दिन पाकिस्तान पीछे हटने पर मजबूर हो गया था।

 

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किन राजनेताओं का सफल रहा जीवन

मान्यता है कि देश के कई बड़े नेता मां पीताम्बरा पीठ से जुड़े तो उनका राजनीतिक जीवन सफल हो गया। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हाल ही में दतिया आए थे। उनके बारे में बताया जाता है कि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ही इस मंदिर से की थी। इनके अलावा भाजपा गृहमंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी यहां अक्सर पूजा-अर्चना करने आते हैं। इनके अलावा दिवंगत बिपिन रावत भी अपनी मौत से कुछ माह पहले ही दतिया आए थे।

 

 

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यह नेता भी जुड़े रहे दतिया से

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिवंगत माधवराव सिंधिया, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, उमा भारती, वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मां पीतांबरा से जुड़े रहे। इनके अलावा मुंबई बम कांड के दोषी संजय दत्त भी अपने ऊपर चल रहे मुकदमे के दौरान मां के दरबार में मत्था टेकने आए थे। इनके बाद कई और फिल्मी हस्तियां यहां आती रही हैं।

 

झांसी से 40 किमी दूर है मां पीताम्बरा पीठ

पीताम्बरा पीठ माता का दरबार दतिया शहर में है, झांसी रेलवे स्टेशन से 40 किलोमीटर दूर है। दिल्ली-मुंबई जाने वाली सभी ट्रेनें यहां से होकर गुजरती है। कुछ ट्रेनें दतिया नहीं रुकती हैं, लेकिन झांसी जंक्शन पर उतरकर टैक्सी या लोकल बसों के जरिए दतिया पहुंचा जा सकता है।

 

ग्वालियर नजदीकी हवाई अड्डा

यदि आप फ्लाइट से पहुंचना चाहते हैं तो नजदीकी हवाई अड्डा ग्वालियर है। यहां से 90 किमी का सफर तय कर आप दतिया पहुंच सकते हैं।

 

कई होटल्स हैं

यहां आने वाले यात्रियों के ठहरने के लिए कई होटल्स और धर्मशालाएं हैं। यात्री अपने बजट के अनुसार यहां होटल ले सकता है।

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