उल्लेखनीय है कि लाला लाजपत राय भी कांग्रेस के नेता रह चुके हैं। इस संबंध में एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में बरैया कहते दिख रहे हैं कि लाला लाजपत राय ने पिछड़े वर्ग का सबसे पहले गला काटा इसलिए पिछड़ा वर्ग पिछड़ा रह गया।
बरैया का कहना है कि अंग्रेज देश में समानता का अधिकार लाना चाहते थे इसके लिए वह साइमन कमीशन लाए थे। लेकिन पंजाब का पंडित लाल लाजपत राय सबसे पहले झंडा लेकर आया और कहने लगा कि साइमन कमीशन वापस जाओ।
उन्होंने कहा कि लाजपत राय ने इतना विरोध किया कि साइमन कमीशन की पुलिस को गोली चलानी पड़ी इससे लाला लाजपत राय की मौत हो गई। बरैया वीडियो में हिंदू धर्म पर भी टिप्पणी करते दिख रहे हैं।
उनका कहना है कि हिंदू धर्म ऊंच, नीच पर चलता है। ऊंचा-नीचा रहेगा तभी हिंदू धर्म चलेगा जबकि बाबा साहब ने समानता के अधिकार के बात कही। साइमन कमीशन का इसीलिए विरोध किया गया कि अगर समानता आ जाती तो हिंदू धर्म खत्म हो जाता। उन्होंने आर एसएस का नाम लेते हुए कहा कि कुछ कट्टरपंथी नहीं चाहते थे कि देश में समानता आए।
पहले भी कई बार दिए विवादित बयान
फूल सिंह बरैया ने पहले भी कई बार विवादित बयान दिए। वे अक्सर अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में बने रहते हैं। गौरतलब है कि ग्वालियर चंबल संभाग से आने वाले कांग्रेसी नेता फूल सिंह बरैया को पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया था। बता दें कि फूल सिंह बरैया लोकसभा चुनाव के पहले ही कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे। इससे पहले वे बहुजन समाज पार्टी में थे।
कुछ सम पहले बरैया ने मध्यप्रदेश में हुए उपचुनाव के दौरान भी विवादित बयान दिया था।दतिया जिले की भांडेर विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार फूल सिंह बरैया का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसमें उन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। विवादित वीडियो मेंफूल सिंह बरैया कह करे हैं कि ‘खूब लड़ी मर्दनी वो तो झांसी वाली रानी है…बुंदेले हर बोलो के मुंह हमने सुनी कहानी हैं। सुनी ही है, यह तो लिखी भी नहीं, क्यों सुनते हो तुम?’ इसमें वह रहे हैं कि…रानी लक्ष्मी बाई कोई वीरांगना नहीं थी। वो तो अपने बच्चे को लेकर झांसी से भागी थी। ग्वालियर में आकर उन्होंने आत्महत्या की थी। ऐसे में लक्ष्मीबाई को वीरांगना नहीं कहा जाना चाहिए।