शहर में इन दिनों चौराहों व सार्वजनिक स्थानों पर चुनाव की चर्चाएं होने लगी हैं। ऐसे में आधी आबादी यानि महिलाओं की चुनाव में भूमिका को लेकर भी चर्चाएं चल रहीं हैं। चुनाव में महिलाएं अपनी प्रमुख भूमिका निभाती हैं और प्रत्याशियों की हार-जीत तय करती हैं। इसके बावजूद राजनैतिक दलों द्वारा महिलाओं को टिकट देने में तबज्जो नहीं दी जाती। नोटा से कम वोट मिले महिलाओं की मतदान में महत्वपूर्ण भूमिका होने के बाद भी दतिया विधानसभा क्षेत्र से महिलाओं को प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिल पा रहा है। दतिया विधानसभा क्षेत्र से सबसे पहला निर्वाचन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 1962 में चंपा देवी ने लड़ा था। चंपा देवी को 204 मत प्राप्त हुए थे। जबकि 2013 में बीएएसडी पार्टी से गायत्री देवी कुशवाह चुनाव मैदान में उतरीं थीं। गायत्री देवी पांचवे नंबर पर आई थीं और उन्हें 1420 मत प्राप्त हुए थे। जबकि नोटा को उनसे ज्यादा 1774 मत प्राप्त हुए थे।