ये है पूरा मामला यह पूरा मामला
दतिया जिले के सेवड़ा थाना क्षेत्र का बताया जा रहा है, जहां एक महिला ने सास-ससुर और अपने पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। पीड़िता का आरोप है कि ससुराल वालों की दहेज की डिमांड पूरी नहीं कर पाई, तो गाली-गलौच और मारपीट करते हुए उसे घर से धक्के मारकर निकाल दिया। काफी मिन्नतें करने के बाद भी घर में नहीं रहने दिया। पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराते हुए न्याय की मांग की है। ये भी पढ़ें – रिटायर्ड हाईकोर्ट जज को ठगों ने लगाया चुना, अकाउंट से झटके लाख रूपए ये भी पढ़ें – Diwali 2024 Date : हो गया फैसला, इस दिन मनाई जाएगी दीपावली, ये है शुभ दिन
कार और 2 लाख रुपए की डिमांड
सेवड़ा पुलिस स्टेशन के प्रभारी गौरव शर्मा ने बताया कि 2019 में पीड़िता का विवाह ग्वालियर के राहुल साहू से हुआ था। शादी के कुछ समय बाद ही ससुराल पक्ष की ओर से एक कार और 2 लाख रुपए की मांग की जाने लगी। डिमांड पूरी न करने पर साल 2021 में पति और सास-ससुर ने महिला को बहुत मारा। पीड़िता का कहना है कि दहेज के लालची सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने महिला के साथ गाली-गलौच किया और बदहाल हालत में घर से धक्के मार कर निकल दिया। काफी समझाइश के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ तो घटना के 2 साल बाद पीड़िता ने पति राहुल साहू, सास सुनीता साहू और ससुर जगदीश साहू के खिलाफ दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
NCRB की रिपोर्ट का चौंकाने वाला खुलासा (Fact)
बता दें कि एमपी में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार में भले ही कमी आई हो लेकिन 2022 की सरकारी रिपोर्ट में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के चौंकाने वाले खुलासे हुए। इस रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 51 मामले हर घंटे रिपोर्ट किए जाते हैं। ये आकड़े साल 2022 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने पेश की थी। रिपोर्ट के अनुसार 2022 में एमपी में महिलाओं के खिलाफ क्रूरता के 4,45,256 मामले रिपोर्ट किए गए थे। इनमे सबसे ज्यादा मामले पति या ससुराल वालों द्वारा हिंसा के थे। इनकी हिस्सेदारी लगभग 31.4 % थी। वहीं राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो (एससीआरबी) पुलिस मुख्यालय भोपाल की 2023 और 2024 के 1 जनवरी से 31 जुलाई तक हुए अपराधों की रिपोर्ट पर नजर डाली जाए, यह तथ्य प्रकाश में आया है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष के प्रथम 7 माह की अवधि में न सिर्फ कुल आईपीसी और बीएनएस अपराधों में कमी आई है, बल्कि विभिन्न प्रकार के गंभीर अपराध, महिलाओं, बच्चों और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध अपराधों में भी कमी आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ क्रूरता और दहेज प्रताड़ना के अपराधों में 3.23 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।