दो सौ है ग्राम रोजगार सहायक
पिछले 13 मार्च से जिले के दो सौ ग्राम रोजगार सहायक हड़ताल पर हैं । उनकी मांग है कि मानदेय बढ़ाया जाए। हैरानी की बात तो यह है कि जिम्मेदार अफसरों ने जानकारी होने के बाद भी जीआरएस द्वारा किए गए कार्य का प्रभार किसी को नहीं दिया। इसके चलते तमाम काम प्रभावित हो रहे हैं। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र में लाडली बहना योजना के तहत जो ईकेवासी का काम चल रहा है उसमें ज्यादा बाधा आ रही है। इसके अलावा मनरेगा के तहत काम आगे नहीं बढ़ पा रहे।
पिछले 13 मार्च से जिले के दो सौ ग्राम रोजगार सहायक हड़ताल पर हैं । उनकी मांग है कि मानदेय बढ़ाया जाए। हैरानी की बात तो यह है कि जिम्मेदार अफसरों ने जानकारी होने के बाद भी जीआरएस द्वारा किए गए कार्य का प्रभार किसी को नहीं दिया। इसके चलते तमाम काम प्रभावित हो रहे हैं। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र में लाडली बहना योजना के तहत जो ईकेवासी का काम चल रहा है उसमें ज्यादा बाधा आ रही है। इसके अलावा मनरेगा के तहत काम आगे नहीं बढ़ पा रहे।
नहीं दिया डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट
ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सहायक की जिम्मेदारी होती है कि वे ग्राम पंचायत में होने वाले मनरेगा समेत अन्य कार्यों के लिए डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट (डीएससी)के तहत विभिन्न दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते हैं। तभी किसी काम को आगे बढ़ाया जा सकता है लेकिन हैरानी की बात यह है कि दस दिन गुजरने के बाद भी हड़ताल में शामिल जीआरएस की डीएससी किसी को नहीं दी। बिना डीएससी के किसी और से काम नहीं कराया जा सकता।
ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सहायक की जिम्मेदारी होती है कि वे ग्राम पंचायत में होने वाले मनरेगा समेत अन्य कार्यों के लिए डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट (डीएससी)के तहत विभिन्न दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते हैं। तभी किसी काम को आगे बढ़ाया जा सकता है लेकिन हैरानी की बात यह है कि दस दिन गुजरने के बाद भी हड़ताल में शामिल जीआरएस की डीएससी किसी को नहीं दी। बिना डीएससी के किसी और से काम नहीं कराया जा सकता।