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जी-20 के लिए तैयार है वीर सिंह पैलेस, बुंदेलखंड की शान है यह महल

दुनिया के जी-20 समूह के कार्यक्रमों के लिए इंदौर, खजुराहो के साथ ही दतिया के वीर सिंह महल में भी हो रही तैयारी…।

दतियाDec 02, 2022 / 02:32 pm

Manish Gite

दतिया। दुनिया के जी-20 देशों के समूह की अध्यक्षता एक साल के लिए भारत कर रहा है। इसकी कई बैठकें दुनियाभर में हों, लेकिन कुछ खास बैठकें मध्यप्रदेश में भी तय की गई है। इन बैठकों में 20 देशों के राष्ट्र अध्यक्ष मध्यप्रदेश की धरती पर आएंगे। इसी सिलसिले में खजुराहो, इंदौर में यह बैठकें होंगी, वहीं बुंदेलखंड की शान माने जाने वाले दतिया के वीर सिंह पैलेस को भी आकर्षक बनाया जा रहा है। क्योंकि यहां देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं।

 

 

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जी-20 के दो कार्यक्रम मध्यप्रदेश में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी-20 की अध्यक्षता करेगा। इस दौरान देश के अन्य शहरों के साथ ही इंदौर में 13, 14, 15 फरवरी को जी-20 के कृषि कार्य समूह की बैठकें होंगीं। इसके बाद 23, 24, 25 फरवरी 2023 को खजुराहो में जी-20 के संस्कृति कार्य समूह की बैठकें होंगी। छतरपुर जिले के खजुराहो में महाराजा छत्रसाल कंवेंशन सेंटर में कई बैठकों का आयोजन होगा।

 

 

जी-20 में यह देश शामिल

जी-20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। यहां देखें वेबसाइट

 

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आकर्षण का केंद्र है दतिया का यह महल

विश्व के 20 देशों के संगठन जी-20 के इवेंट में दतिया के वीर सिंह पैलेस को भी शामिल किया गया है। पैलेस में 7 दिनों तक सजावट होगी। इस बार भारत को जी-20 देशों की अध्यक्षता करने का अवसर मिला है। इस अवसर पर इवेंट करने के लिए विश्व की सौ धरोहरों में दतिया के वीर सिंह पैलेस को शामिल किया है। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत देश में 32 अलग-अलग क्षेत्रों में करीब 200 बैठकें आयोजित करेगा। बताया गया है कि प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा विशेष प्रयास से वीर सिंह पैलेस को यह अहमियत मिली है। बताया गया है कि 1 दिसंबर से आगामी 7 दिनों तक वीर सिंह पैलेस को सजाया जाएगा। लाइटिंग की जाएगी। इसमें जी-20 का लोगो भी लगाया जा रहा है।

 

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बुंदेलखंड की शान

दतिया में विजय काली माता मंदिर के पास बेहद खूबसूरत वीर सिंह पैलेस को लगभग चार शताब्‍दी पहले सन 1618 में बुंदेली राजा वीर सिंह जूदेव ने बनवाया था। जानकारों के मुताबिक इसके निर्माण में तब 35 लाख रुपए खर्च हुए थे और 9 साल में बनकर तैयार हुआ था। यह बुंदेलखंड कि सबसे खूबसूरत इमारतों में शुमार है। वीर सिंह पैलेस को शहर व आसपास के क्षेत्र में सतखंडा महल के नाम से भी जाना जाता है। यह महल सात खंड में बना हुआ है। दो खंड जमीन के नीचे और पांच जमीन के ऊपर हैं। महल का अंदर का हर खंड स्वास्तिक आकार में बना हुआ है। महल की एक और विशेषता यह भी है कि इसके निर्माण में लोहे एवं लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। शहर की घनी आबादी के बीच स्थित इस महल को देखने प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक आते हैं। वर्तमान में इस महल के रखरखाव एवं देखरेख का जिम्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पास है।

 

कई नाम हैं इसके

वीर सिंह पैलेस (veer singh palace) प्रसिद्ध महल है। ग्वालियर-झांसी मार्ग से करीब 1 किमी दूर है यह महल। इस महल को पुराना महल, सतखंडा महल, नृसिंह महल, दतिया पैलेस और बीर सिंह पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। यह महल दतिया के बीचों बीच स्थित है। इस महल तक वाहन से पहुंचा जा सकता है। महल एक झील के पास स्थित है। इस झील को लाला का तालाब कहा जाता है। महल की सबसे ऊपरी मंजिल से झील का आकर्षक नजारा पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां से दतिया शहर भी बेहद खूबसूरत नजर आता है।

 

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महल से जुड़ी किंवदंती

किंवदंती है कि राजा वीर सिंह एवं शाहजहां के बीच इस टीले पर एक गुप्त बैठक शाहजहां और जहांगीर के संघर्ष के दौरान हुई थी। इसमें वीर सिंह और शाहजहां का साथ दिया गया था। इसी बैठक के प्रतीक स्वरूप वीर सिंह ने यह महल उसी स्थान पर बनवाया था।एक और किंवदंती यह भी है कि महल ऊपर जितना ऊंचा है, नीचे उतना ही गहरा भी है। लेकिन, इतिहासकारों के मुताबिक यह सात मंजिला किला है, जिसके दो मंजिल जमीन के नीचे और 5 मंजिल जमीन से ऊपर हैं।

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गामा पहलवान का अखाड़ा भी

उत्तर भारत में मुहावरे के रूप में लिया जाने वाला गामा पहलवान शब्द का भी इस महल से सीधा सम्बन्ध है। ऊपर वाली मंजिल पर जीवनभर अजेय रहे रूस्‍तम ऐ हिन्‍द गामा पहलवान का अखाड़ा भी है। गामा पहलवान मूल रूप से पटियाला का रहने वाले थे। आजादी के पहले दतिया के महाराजा भवानी सिंह ने उन्हें दतिया बुलाया था। यह गामा पहलवान का ननिहाल था। बचपन में ही यहां आकर कुश्तियां लड़ी। वीर सिंह पैलेस में बने अखाड़े में भी उन्होंने दावपेंच आजमाए। खास बात रही कि उन्होंने एक विदेशी पहलवान को हराया था और वे विश्व विजेता पहलवान माने गए। इतिहासकार विनोद मिश्र का कहना है की गामा पहलवान वीर सिंह पहले से बने अखाड़े में कुश्ती लड़ने जाते थे लेकिन अखाड़ा इससे पूर्व बन गया था।

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