देवती महेंद्र कर्मा नहीं रोक पायी अपने आंसू कहा- आप लोगों ने बेटा खोया, मैंने अपना पति
80 वीं बटालियन के कमांडेंट अमिताभ कुमार ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस के दौरान एक कार्यक्रम में जानकारी मिली की स्कूल में शिक्षकों की कमी हैं। वहीं माओवादी दहशत की वजह से यहां या तो यहां शिक्षक आते नहीं आते भी हैं तो दहशत में वे पढ़ा नहीं पाते।Video: अगर बड़ा नेता बनना है तो एसपी और कलेक्टर का कॉलर पकड़ो- कवासी लखमा
अब शत प्रतिशत रिजल्ट का रखा है लक्ष्य कमांडेंट का कहना है कि बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों का चुनाव कर पढ़ाने का जिम्मा सौंपा गया है। इसलिए अब उन्होंने आगामी वर्ष में परीक्षा फल भी शत-प्रतिशत होंगे। इतना ही नहीं उनका कहना है कि पुलिस के इसी तरह के प्रयास का नतीजा है कि अब वे शुद्ध पेयजल से लेकर सडक़ निर्माण की मांग मुखर हो कर कर रहे हैं और इसमें जवानों के साथ मिलकर अपनी सहभागिता निभा रहे हैं।पुलिसिंग से हटकर चल रहे इस काम को देख ग्रामीणों में खुशी की लहर
बस्तर में यह पहली ही बार हो रहा होगा कि पुलिसिंग से हटकर अब जवान छात्रों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। पढ़ाने वाले जवानों की माने तो अब शिक्षा की बात नहीं बल्कि इससे एक कदम आगे गुणवत्ता की बाच कर रहे हैं। सीआरपीएफ के यह जवान कक्षा नवमी और कक्षा दसवीं के छात्र छात्राओं को पढ़ाना शुरू किया है।अपने बनाये बूबी ट्रैप में खुद ही फंस गया नक्सली, उसे छोड़ भाग गए उसके साथी
जवानों के इस कार्य को देखते हुये गांव वाले भी काफी खुश हैं। जवानों के द्वारा पढ़ाए जाने से छात्र-छात्राओं का मनोबल भी बढ़ेगा। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि अब फिर से उनमें बच्चों को अच्छा और बड़ा इंसान बनाने का सपना फिर से पूरा होता नजर आ रहा है।