बिहान परियोजना का आगमन
सुशीला दीदी के बिहान योजना में जुडऩे उपरांत इन्हे जानकारी दी गई कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत इन्हे पंच सुत्रो का पालन करना होगा। जिसके पश्चात् बैंक से 6 माह के भीतर ऋण प्राप्त होगा और इसके माध्यम से समूहों के सदस्य अपने पृथक व्यापार के लिए समूह से ऋण प्राप्त कर स्वतंत्र व्यापार की स्थापना कर पाएंगे। इन्होने अन्य महिलाओं को समूह से जुडऩे हेतु आमंत्रित किया और इस कार्य में ये सफल भी हुई। तकरीबन 1 साल उपयुक्त प्रशिक्षण प्राप्त कर बैंक लिंकेज की राशि से एक लाख का ऋण प्राप्त हुआ। समूह को प्राप्त राशि से इन्होने ऋण लेके साग सब्जी का व्यवसाय शुरू किया। वहीं कुछ राशि का उपयोग बच्चो के शिक्षा मे किया।
साग-सब्जी उत्पादन
सुशीला ने समूह से ऋण लेकर अपने थोडे से बाड़ी में साग-सब्जी उत्पादन के लिए शासकीय योजनाओं से लाभ लेते हुए पिछले 3 सालों से यह व्यवसाय कर रही है। इस गतिविधि में लगभग 30 से 40 हजार लगाकर लगभग एक लाख 50 हजार रुपए लाभ कमा चुकी है। अभी वर्तमान में इनके खेत मे मिर्च, करेला, बर्बट्टी, भिंडी आदि लगी हुई है और व्यवसाय भी निरंतर चल रहा है।
लड्डू, आचार का व्यवसाय
सुशीला अपने घर के सदस्यो के सहयोग से कुटीर स्तर पर ही लाई लड्डू, आम, कठहल के अचार बना कर उपयुक्त दर पर बिक्री कर लगभग 10 से 12 हजार रुपए कमा लेती है। इस महामारी के समय दीदी के समूह द्वारा मास्क सिलाई कर किफायती दरो पर आम जनता को उपलब्ध कराया जा रहा है। जिससे समूह को फायदा भी पहुंचा रही है और आस-पास के आम जनो का सुरक्षा भी हो रहा है।