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दंतेवाड़ा

Indravati Tiger Reserve: नहीं होगी जबरदस्ती.. ग्रामीणों की स्वेच्छा पर निर्भर होगा विस्थापन, जिला प्रशासन का बड़ा बयान

Indravati Tiger Reserve: जिला प्रशासन और वन अधिकारियों ने प्रेस वार्ता के दौरान ग्रामीणों के लिए एक बड़ा निर्णय लेते हुए कहा कि किसी भी ग्रामीण के साथ कोई जबरदस्ती नहीं होगी। उनकी स्वेच्छा पर ही विस्थापन निर्भर होगा।

दंतेवाड़ाSep 07, 2024 / 04:52 pm

Laxmi Vishwakarma

Indravati Tiger Reserve
Indravati Tiger Reserve: सेड्रा इलाके के ग्रामीणों द्वारा किए गए आंदोलन के बाद, इंद्रावती टाइगर रिजर्व के कोर इलाके के ग्रामीणों के विस्थापन के मामले में जिला प्रशासन और वन अधिकारियों ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया है कि ग्रामीण स्वेच्छा से विस्थापन का निर्णय ले सकते हैं, और यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो शासन को किसी प्रकार की आपत्ति नहीं होगी।

Indravati Tiger Reserve: पहले चरण में 21 गांवों का चयन

Indravati Tiger Reserve: इंद्रावती टाइगर रिजर्व के तहत आने वाले 76 गांवों में से पहले चरण में 21 गांवों का चयन किया गया है, जहां से विस्थापन किया जाएगा। इन 21 गांवों में रह रहे परिवारों को 15-15 लाख रुपए के मुआवजे के साथ नई बसाहट की सुविधा दी जाएगी, जिससे वे नए स्थान पर अच्छे जीवन की शुरुआत कर सकें।
प्रेस वार्ता के दौरान, इंद्रावती टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक संदीप बलगा ने बताया कि पहले सर्वे और आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि 23 अगस्त 2024 थी, जिसे अब बढ़ाकर 01 जनवरी 2025 कर दिया गया है। (Indravati Tiger Reserve) इस नई तिथि तक, जिन व्यस्क व्यक्तियों की आयु 18 वर्ष पूर्ण हो चुकी है, वे आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।
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कई गांव पहले से ही वीरान

कलेक्टर संबित मिश्रा ने स्पष्ट किया कि यदि ग्रामीण स्वेच्छा से विस्थापन का निर्णय नहीं लेते हैं, (Indravati Tiger Reserve) तो शासन को इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने बताया कि कई गांव पहले ही वीरान हैं या उनमें बहुत कम परिवार निवास करते हैं। ग्रामीणों की स्वेक्षा पर निर्भरहै कि वे विस्थापन का मुआवजा लें या नहीं।

आवेदन आने शुरू

Indravati Tiger Reserve: वनमंडलाधिकार राम कृष्णा ने कहा कि पहले चरण में चयनित 21 गांव में ज्यादातर वीरान गांव शामिल हैं जिसमें से कई परिवार सलवा जुड़ूम के दौरान गांव छोड़ चुके हैं तो कई नक्सल पीड़ित परिवार भी हैं जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़ कर कहीं और निवासरत हैं। ऐसे परिवारों के आवेदन आने शुरू हो गए हैं। इस दौरान एसडीएम जागेश्वर कौशल, आईटीआर अधिकारी एवं प्रभावित गांव पेन गुंडा के ग्रामीण मौजूद थे।

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