दंतेवाड़ा

Dantewada News: 12 पंचायत की फंडिंग से चल रहा यहां का स्कूल, बच्चों के लिए हर घर से आता है दो किलो चावल…

Dantewada News: दंतेवाड़ा का जनताना सरकार का स्कूल एक मिसाल बन गया है। बारूद और बंदूक के बीच 115 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। अब वहां बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है।

दंतेवाड़ाSep 25, 2024 / 08:34 am

Laxmi Vishwakarma

Dantewada News: जहां नक्सली युवाओं को बारूद और बंदूक का पाठ पढ़ाया करते थे वहां अब जंगल के बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है। इसी स्कूल को पुलिस ने नक्सलियों का ट्रेनिंग कैंप बताकर तोड़ा था। अब उसकी दशा और दिशा दोनों बदल गई है। स्कूल का संचालन 12 पंचायत के ग्रामीण कर रहे है। स्कूल को रहवासी छात्रावास के रूप में विकसित किया गया है।

Dantewada News: 3 हजार रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा

Dantewada News: पंचायतों के ग्रामीण कह रहे हैं कि यह भूमकाल छात्रावास है। यहां 115 बच्चे 5वीं तक पढ़ाई करते हैं। इस स्कूल की पूरी व्यवस्था 12 पंचायतों के ग्रामीण पैसा एकत्र कर करते हैं। इस व्यवस्था में बच्चों का भोजन पानी, स्कूली ड्रेस और शिक्षकों का वेतन भी शामिल है। इतना ही नहीं यहां खाना बनाने वालों को भी 3 हजार रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा है।

फोर्स ने कर दिया था इसे तहस-नहस

स्कूल नारायणपुर जिले के ओरछा ब्लॉक में स्थित रेकावाया में संचालित हो रहा है। ये वही छात्रावास है जिसे फोर्स ने ज्वाइंट ऑपरेशन कर तहस नहस कर दिया था। Dantewada News पुलिस के अधिकारियों ने कहा था ये नक्सलियों का ट्रेनिंग कैंप है। इस स्कूल में गांव के ही रहने वाले चार युवा बच्चों को पढ़ा रहे हैं। स्कूल का पूरा टाइम टेबल बना हुआ है।
बच्चों को पढ़ाई के लिए सुबह साढ़े चार बजे उठना पड़ता है। सुबह एक घंटे पीटी के बाद साढ़े आठ बजे से साढ़े 11 बजे तक पढ़ाई होती है। यहां जो पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है वह छत्तीसगढ़ के बाकी स्कूलों की तरह ही है। यहां शिक्षकों को 4 हजार रुपए प्रति माह वेतन के रूप में दिया जाता है। बच्चों को पढ़ाने वाले युवा 12वीं पास हैं।

ध्यान समिति करती है निगरानी

भूमकाल छात्रावास की देखरेख के लिए ध्यान समिति बनाई गई है। इस समिति में मड्डाराम नेताम, लालूराम मरकाम, कोसाराम मरकाम, मोटू बारसा और सुनील बेंजाम शामिल है। Dantewada News मड्डाराम 15 वर्ष उपसरंपच भी रहे है। वे कहते है भूमकाल छात्रावास की देखरेख के लिए ध्यान समिति का गठन किया गया है।
स्कूल को सुचारु रूप से चलाने के लिए रेकावाया, डूंगा, पीडियाकोट,पल्लेवाया, बेलनार, धर्मा, ताकीलोड़, उतला और पल्ली जैसी पंचायतों से पैसा एकत्र किया जाता है। प्रत्येक घर से दो किलो चावल आता है।

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टॉर्च गले में टांगकर करते हैं भोजन, पीते हैं नाले का पानी

यह आश्रम पहाड़ के ठीक नीचे और घने जंगलों के बीच स्थित है। अंधेरे में बच्चे भोजन छोटी-छोटी टॉर्च गर्दन में फंसाकर करते हैं। बैठने के लिए बड़ी लंबी सी लकड़ी है। बांस के मचान पर सभी बच्चे सोते हैं। Dantewada News कुछ बच्चे जमीन पर भी सोते हैं। बच्चों की पढ़ाई के साथ हर परिस्थति में जीने की कला पर भी जोर दिया जा रहा है। पीने का पानी नाले से मिलता है।

स्कूल से कोई सर्टिफिकेट नहीं मिलता

ग्रामीणों से जब पूछा गया कि बच्चों को सर्टिफिकेट कैसे देते हो तो संतोषप्रद जबाब नहीं मिला। ग्रामीणों ने कहा कि संकुल केंद्र प्रभारी को बताते हैं तो वह सरकारी स्कूल में बच्चों के नाम दर्ज कर लेता है।

ट्रेनिंग कैंप से कोई बच्चा नहीं मिला था

Dantewada News: गौरव राय, एसपी दंतेवाड़ा ने बताया कि फोर्स ने रेकावाया में बड़ा एनकाउंटर किया था। वहां से आठ नक्सलियों के शव बरामद हुए थे। उसी दौरान रेकावाया का ट्रेनिंग कैंप लोगों के सामने आया था।
फिलहाल वहां कोई बच्चा नहीं मिला था। उसे ग्रामीण स्कूल बता रहे हैं तो ये जांच का विषय है। वहां सिर्फ फिजिकल ट्रेनिंग होती है। बच्चों की पढ़ाई नही होती है। अब सिर्फ नक्सली अपने आपको बचाने में लगे हुए हैं।

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