इनका क्या उपयोग है इस बारे में विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कह रहे हैं उनको मालूम ही नहीं है कि उनके पूराने कार्यालय में इस तरह से उपकरण जमा है। अधिकारी कह रहे हैं पता करवाते है आखिर उनका वितरण क्यों नही क्यों नही किया गया है।
उपकरण में लग रहा जंग
खेती किसानी में इस्तेमाल होने वाले तमाम उपकरण जैसे पाईप, धान को साफ करने वाली मशीन, खुरपी, कुदाल, रांपा तगाड़ी और वाटर पंप कृषि विभाग के पूराने कार्यालय में जंग खा रहे हैं। बताया जा रहा है ये उपकरण दो चर्ष से पड़े हुए हैं। इन उपकरणों की जानकारी विभाग के जिम्मेदारों को भी नही हैं। विभाग दावा जरूर करता है किसानों को पूराी सुविधा दी जा रही है और दंतेवाड़ा जिले को जैविक जिला बनाया जा रहा है। ये तस्वीरें खुद बयां कर रही है किसानों के नाम पर किस तरह से कृषि विभाग में जमकर सप्लाई हो रही है। इस सप्लाई की कमीशन खोरी में अफसर लाल हो रहे हैं।
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जिले के चारों विखं में पहुंचाना था
जिले में सरकार की कृषि विभाग के द्वारा चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजनाओं को चारों ब्लॉक के किसानों को इन उपकरणों को पहुंचाना था। विभाग ने इन उपकरणों की सप्लाई तो करवाई, लेकिन किसानों तक नहीं पहुंचा सके। यह उपकरण जर्जर इमारत में कैद कर दिए गए। किसानों के साथ विभाग ही बड़ा छलावा करने में लगा हुआ है। दंतेवाड़ा का अधिकांश इलाका आज भी माओवाद से प्रभावित है। यहां आदिवासी किसानों को सरकार अपनी योजनाओं में 80 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक छूट देती है, ताकि किसानों को सीधा लाभ मिले। विकास का न पहुंचा पाना नक्सलवाद को बढ़ावा देने में बल देता है।