दमोह

दमोह के जंगलों को खास बनाती है तेंदूओं की मौजूदगी

बिग कैट्स का दूसरा प्रमुख वन्यप्राणी तेंदुआ दमोह वन मंडल की पहचान बन चुके हैं। दमोह वन मंडल का अमला सालों से तेंदुओं की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर प्रयासरत हैं।

दमोहJul 12, 2024 / 11:28 am

pushpendra tiwari

दमोह. बिग कैट्स में शुमार बाघ जहां रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नौरादेही वन मंडल में की विशेषता बने हुए हैं, तो वहीं बिग कैट्स का दूसरा प्रमुख वन्यप्राणी तेंदुआ दमोह वन मंडल की पहचान बन चुके हैं। दमोह वन मंडल का अमला सालों से तेंदुओं की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर प्रयासरत हैं। जिसके नतीजे अब सामने आ रहे हैं। तेंदुओं की तादाद साल दर साल बढ़ती जा रही है। वर्तमान में आधा सैकड़ा से अधिक तेंदुए दमोह वन मंडल के जंगलों में होने का अनुमान है। माना जा रहा है कि पिछले तीन से चार सालों के भीतर तेंदूओं की तादाद में इजाफा हुआ है। चार पहले इनकी संख्या लगभग एक दर्जन के करीब आंकी गई थी, जो अब ५० तक पहुंच चुकी है। अधिकारियों द्वारा जिले के लगभग हर क्षेत्र के जंगल में तेंदुओं की मौजूदगी का दावा किया जा रहा है। तेंदुओं की मौजूदगी के लिहाज से दमोह का जंगल संपन्न कहा जा सकता है। दरअसलए एक समय ऐसा था जब जिले में तेंदुओं की संख्या बेहद कम हो गई थी। करीब दर्जन भर के आसपास ही तेंदुए बचे थे। ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में तेंदुओं की संख्या बढऩा काफी सुखद है। वहीं तेंदुओं की मौजूदगी अब दमोह वन मंडल के जंगलों को खास बना रही है। ध्यान देने वाली बात ये है कि कुछ साल पहले तेंदुओं की मौत के मामले सामने आए थे। जिनमें तेंदुओं की सुरक्षा को लेकर लापरवाहियां भी उजागर हुई थीं। इन पहलुओं पर वन विभाग के आला अधिकारियों ने खास ध्यान दिया और तेंदुओं की सुरक्षा को लेकर कमियों को दूर किया। वन अमले की इन कोशिशों का सकारात्मक असर रहा और सुरक्षा के मामले में वन अमला पहले से कहीं ज्यादा सतर्क हुआ है।
तेंदुओं के मूवमेंट वाले जिले के प्रमुख एरिया

वैसे तो दमोह वन मंडल के जंगल में चारों तरफ तेंदुओं मौजूदगी बताई जा रही है ,लेकिन तेंदुओं की खासतौर से मौजूदगी वाले करीब आधा दर्जन इलाके प्रमुख हैं। इनमें सिंग्रामपुर, सगौनी, हटा, तेजगढ़, तेंदूखेड़ा वन परिक्षेत्र आदि शामिल हैं। जिले में सबसे अधिक तेंदुएं इन्हीं एरिया में हैं। यही वजह है कि इन्हीं इलाकों में तेंदुओं का मूवमेंट भी सबसे अधिक होता है।
जबलपुर हाइवे पर जब तब दिख जाते हैं तेंदुए

तेंदुए अक्सर जंगल से निकलकर मार्गों पर पहुंच जाते हैं। जबलपुर हाइवे पर अनेक मौकों पर तेंदुए सड़क पार करते देखे जा चुके हैं। राहगीरों ने अपने कैमरों में इनके वीडियो भी कैद किए। इसी साल मार्च में तेंदूखेड़ा रेंज अंतर्गत जबलपुर मार्ग की पुलिया पर एक तेंदुआ आराम फरमाता नजर आया। लोगों ने इसका वीडियो बनाया था। अप्रेल में भी जबलपुर मार्ग किनारे पत्थरों पर एक तेंदुआ उछलकूद करते हुए मिला था। इसके अलावा अन्य मौकों पर भी इसी क्षेत्र में राहगीरों और ग्रामीणों को तेंदुए नजर आ चुके हैं।
जिले में तेंदुए की संख्या बढऩे के मुख्य कारण

पर्याप्त भोजन –
तेंदूखेड़ा, हटा, सगौनी, तेजगढ़ व सिंग्रामपुर वन परिक्षेत्र में तेंदुओं की संख्या अधिक है। दरअसल इन क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में तेंदुओं के भोजन के लिए शाकाहारी जीव उपलब्ध हैं।
सहज आवास स्थल –
जिले का जंगल तेंदुओं के रहवास के लिए सहज है।घास के मैदान, चट्टानी व पहाड़ी जगह तेंदुओं की पसंद के आवास स्थल होते हैं। ऐसे आवास स्थल जिले के जंगलों में भी हैं।
सुरक्षा बंदोबस्त

  • तेंदुओं की मौत के घटनाक्रमों के बाद वन अमले ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए हैं। किसी भी जगह तेंदुए के मूवमेंट की खबर मिलने पर अब अमला फौरन सक्रिय होता है।
वर्जन
दमोह वन मंडल में तेंदुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्तमान में 40 से 50 तेंदुए होने का अनुमान है। जंगल में पर्याप्त खुराक है। सुरक्षा के लिए वन अमला लगातार सक्रिय है।
महेंद्र सिंह उईके, डीएफओ दमोह

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