दमोह. संपत्ति के गलत निर्धारण से शहर में नगरपालिका की राजस्व वसूली पर बुरा असर पड़ रहा है। संपत्ति की पहचान के लिए जीआइएस नामक सर्वे किया जाता है। जिसमें संपत्ति के बारे में सारी जानकारी एकत्र की जाती है। जैसे मकान पक्का है, कच्चा है, कितने वर्गफीट में बना और कितने मंजिल है जैसी जानकारी होती है। शहर में जीआइएस सर्वे हुआ था। जिसमें ये सभी जानकारी तो जुटाई गई, लेकिन संपत्ति निर्धारण में गंभीर लापरवाहियां बरती गईं। जिससे नागरिकों की मुश्किलें बढ़ीं ही। साथ में इसका असर नगरपालिका में होने वाले संपत्ति कर कलेक्शन पर भी हुआ।
जीआइएस सर्वे में सबसे बड़ी लापरवाही एक संपत्ति को कई लोगों के नाम दर्शाने की हुई। किसी एक के नाम मकान है, लेकिन उस मकान में कई वयस्क लोग हैं। जीआइएस सर्वे करने वाली टीम ने सभी वयस्क लोगों को मकान का मालिक बता दिया। इससे एक मकान का कई लोग कर चुकाने के हकदार हो गए। हालांकि जब ये गड़बड़ी सामने आई, तो लोगों ने कर भरने से परहेज किया। जिससे नगरपालिका की राजस्व वसूली प्रभावित हुई।
सूत्रों के मुताबिक जीआइएस सर्वे में एक संपत्ति को घर के कई लोगों के नाम दर्शाने का यह खेल ज्यादा से ज्यादा कर जुटाने के लिए किया गया था, लेकिन इससे लोगों के साथ नगरपालिका की मुश्किलें बढ़ गई।
दोबारा सर्वे हो, तो सुधार हो सकता है
जीआइएस सर्वे में सबसे बड़ी लापरवाही एक संपत्ति को कई लोगों के नाम दर्शाने की हुई। किसी एक के नाम मकान है, लेकिन उस मकान में कई वयस्क लोग हैं। जीआइएस सर्वे करने वाली टीम ने सभी वयस्क लोगों को मकान का मालिक बता दिया। इससे एक मकान का कई लोग कर चुकाने के हकदार हो गए। हालांकि जब ये गड़बड़ी सामने आई, तो लोगों ने कर भरने से परहेज किया। जिससे नगरपालिका की राजस्व वसूली प्रभावित हुई।
सूत्रों के मुताबिक जीआइएस सर्वे में एक संपत्ति को घर के कई लोगों के नाम दर्शाने का यह खेल ज्यादा से ज्यादा कर जुटाने के लिए किया गया था, लेकिन इससे लोगों के साथ नगरपालिका की मुश्किलें बढ़ गई।
दोबारा सर्वे हो, तो सुधार हो सकता है
एक संपत्ति को कई लोगों नाम दर्शाए जाने से लोग संपत्ति कर नहीं भर रहे। शहर में इस तरह की दर्जनों संपत्तियां हैं। जिनमें स्वामित्व के गलत निर्धारण हुआ है। हालांकि इस त्रुटि को सुधारा जा सकता है। इस संबंध में बताया गया है कि दोबारा जीआइएस सर्वे कराना होगा। इसके बाद संपत्तियों के स्वामित्व में सुधार किया जा सकता है। इससे संपत्ति के सही मालिक की पहचान हो सकेगी।
दावे-आपत्ति के बिना करा लिया स्वीकृत
बताया गया है कि जीआइएस सर्वे के दौरान संबंधित पार्टियों यानी संपत्ति मालिकों को नोटिस जारी किए जाते हैं। जिसमें उनसे सर्वे से संतुष्ट हों या कोई आपत्ति हो, तो वो भी ली जाती है। ताकि फाइनल रिपोर्ट से पहले सुधार हो सके, लेकिन शहर में जीआइएस सर्वे के दौरान दावे आपत्ति नहीं लिए गए और फाइनल रिपोर्ट बनाकर भोपाल भेज दी गई। जहां उसे ज्यों का त्यों स्वीकृत कर दिया गया। जो गलत निर्धारण की यही सबसे बड़ी वजह बनी।
संपत्ति की पहचान के लिए जीआइएस सर्वे हुआ था। जिसमें कुछ गलतियों से कई लोगों की संपत्तियों का गलत निर्धारण हो गया। इसमें सुधार होना जरूरी है और इसके लिए जीआइएस सर्वे की डिमांड है। तब जाकर सुधार होगा।
.प्रकाश चंद्र पाठक, राजस्व प्रभारी नपा दमोह
दावे-आपत्ति के बिना करा लिया स्वीकृत
बताया गया है कि जीआइएस सर्वे के दौरान संबंधित पार्टियों यानी संपत्ति मालिकों को नोटिस जारी किए जाते हैं। जिसमें उनसे सर्वे से संतुष्ट हों या कोई आपत्ति हो, तो वो भी ली जाती है। ताकि फाइनल रिपोर्ट से पहले सुधार हो सके, लेकिन शहर में जीआइएस सर्वे के दौरान दावे आपत्ति नहीं लिए गए और फाइनल रिपोर्ट बनाकर भोपाल भेज दी गई। जहां उसे ज्यों का त्यों स्वीकृत कर दिया गया। जो गलत निर्धारण की यही सबसे बड़ी वजह बनी।
संपत्ति की पहचान के लिए जीआइएस सर्वे हुआ था। जिसमें कुछ गलतियों से कई लोगों की संपत्तियों का गलत निर्धारण हो गया। इसमें सुधार होना जरूरी है और इसके लिए जीआइएस सर्वे की डिमांड है। तब जाकर सुधार होगा।
.प्रकाश चंद्र पाठक, राजस्व प्रभारी नपा दमोह