दमोह

रानी दुर्गावती टाइगर रिर्जव में एक साल तक प्रशिक्षित होंगे भारतीय प्रजाति के छह गिद्ध

तीन जिलों की सीमा में बसे वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में अब छह गिद्धों को एक साल के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। जो इनके कुनबे को बढ़ाने के लिए प्रस्तावित हुआ है।

दमोहJul 18, 2024 / 11:21 am

pushpendra tiwari

रोशन दुबे तेंदूखेड़ा. तीन जिलों की सीमा में बसे वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में अब छह गिद्धों को एक साल के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। जो इनके कुनबे को बढ़ाने के लिए प्रस्तावित हुआ है। इसके तहत भारतीय प्रजाति के इंडियन वल्चर के 6 चूजों को रिजर्व में पाला जाएगा और एक वर्ष तक इन्हें मृत मवेशियों के शव को खाने के लिए ट्रेंड किया जाएगा। बाद में जब यह प्रशिक्षित हो जाएंगे, तो इन्हें खुले आसमान में छोड़ दिया जाएगा। लेकिन छोड़े जाने से पहले इनके पैरों में रेडियो रिंग पहनाई जाएगी, जिससे यह अपनी प्रजाति की कॉलोनी से संबंधित जानकारी उपलब्ध करा सकें।
रिजर्व डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी का कहना है कि उक्त प्रयास गिद्धों के संरक्षण को लेकर किया जा रहा है। जो पहला ऐसा प्रयास होगा, जिसे रिजर्व में अपनाया जा रहा है। उन्होंने जानकारी दी है कि भारत सरकार के वल्चर एक्शन प्लान 2020-2030 के तहत बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी मुंबई देश के अलग अलग हिस्सों में गिद्धों की केप्टिव ब्रीडिंग करा रही है। इसी कड़ी में भोपाल के वन विहार में गिद्धों की इन हाउस ब्रीडिंग करा कर चूजे तैयार किए जा रहे हैं। वहां से 6 चूजे यहां टाइगर रिजर्व में लाए जाएंगे। फिर उन्हें प्राकृतिक आवास में रहने वाले गिद्धों के संग रहने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके तहत उन्हें पहले छोटे मांस के टुकड़े खाना सिखाया जाएगा और बाद में साबुत मवेशी का शव नोंच नोंच के खाने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
इस बात पर केंद्रित है प्रोजेक्ट

डायरेक्टर अंसारी के अनुसार गिद्ध मांसाहारी होते हैं। कभी कभी तो यह घंटे भर के भीतर शवों का पता लगा लेते हैं और खा लेते हैं। गिद्धों का पाचन तंत्र अत्यधिक अम्लीय होता है, जिससे मांस में मौजूद लगभग सभी बैक्टीरिया या वायरस मर जाते हैं। इस तरह से गिद्ध मृत मवेशी या अन्य जानवरों से फैलने से वाले बैक्टीरिया वायरस को मनुष्य तक नहीं पहुंचने देते हैं। यही काम लकड़बग्घा, सियार या अन्य वन्यप्राणी भी करते हैं, लेकिन ये जानवर मानव की पहुंच में आ सकते हैं, जो कभी भी खतरनाक हो सकता है। इसलिए मृत जानवरों की सफाई के लिए गिद्ध सबसे श्रेष्ठ विकल्प माने गए हैं।
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कलेक्टर की हिदायत के बाद भी ग्रामीण अंचलों में नही सुधर रहे हालात
जारी है शिक्षकों को मनमानी का दौर
दमोह. कलेक्टर की हिदायत के बावजूद सरकारी स्कूलों में हालात नहीं सुधर रहे। सबसे खराब स्थिति ग्रामीण अंचलों के स्कूलों में है। इनमें पथरिया तहसील क्षेत्र, हटा, जबेरा, तेंदूखेड़ा तहसील के दूरस्थ गांवों में संचालित स्कूल प्रमुख है। यहां शिक्षकों की लगातार मनमानी देखने को मिल रही है। जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि कलेक्टर ने दिसंबर तक कोर्स पूरा कराने का जो टारगेट रखा है, वो कैसे पूरा होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में जिस तरह की स्थिति है। उसे देखकर यही लगता है कि इस बार भी सत्र पूरा हो जाएगा, लेकिन कोर्स अधूरा रह जाएगा। दरअसलए स्कूलों में शिक्षक निर्धारित समय पर नहीं पहुंच रहे हैं। स्कूल खुलने का जो समय है, शिक्षक उसके एक.दो घंटे बाद पहुंच रहे हैं। इस दौरान वक्त पर पहुंचने वाले बच्चे या तो स्कूल के बाहर खड़े रहते हैं या फिर स्कूल खुलने पर शिक्षकों की अनुपस्थिति में खेलते हुए समय गुजारते हैं। हैरानी की बात ये है कि जहां पर शिक्षक समय पर स्कूल पहुंच रहे हैंए वहां पढ़ाई हो रही होए तो ऐसा भी नहीं है। क्योंकि ऐसे कई स्कूल हैं जहां समय पर स्कूल पहुंचे शिक्षक क्लास अटेंड करने बजाए ज्यादातर समय स्टाफ रूम में बैठकर गप्पे लड़ाकर निकाल रहे हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होना और कोर्स पिछडऩा स्वाभाविक है। शिक्षकों की मनमानी को लेकर शिकायतें भी लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन विकासखंड स्तर पर बीआरसी और बीइओ ऑफिसों में बैठे शिक्षा विभाग के अधिकारी जानबूझकर अनजान बने हुए हैं। अधिकारियों द्वारा स्कूलों का औचक निरीक्षण कर स्थिति पता करने का प्रयास तक नहीं किए जा रहे हैं। यहां बता दें कि बीते सेशन में जिले के प्राथमिक स्कूलों से लेकर हायर सेकंडरी स्कूलों के छात्रों का कमजोर पढ़ाई के चलते रिजल्ट बिगड़ गया था। इस पर कलेक्टर ने गौर किया और कमियां पकड़ी। जिसके बाद उन्होंने स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए शिक्षकों को खास हिदायत दी थी। इसी महीने के प्रथम सप्ताह में आयोजित एक बड़ी बैठक के दौरान शिक्षकों को निर्देश दिए थे कि स्कूल समय पर पहुंचे और दिसंबर तक कोर्स पूरा कराएं। ताकि परीक्षा से पहले दो माह में रिवाइज भी हो सके। हालांकि कलेक्टर के इन निर्देशों पर शिक्षकों की मनमानी पानी फेर रही है।

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