पूछताछ के बाद हरकत में आया स्टाफ
पत्रिका द्वारा लगातार की जा रही पड़ताल में जब यह जानकारी लगी कि सवा सौ से अधिक मरीजों का रिकार्ड दुरस्त नहीं है, तो पत्रिका ने इस कार्य की जिम्मेदारी निभाने वालों से पूछताछ की। इधर प्रबंधन के अधिकारियों को जब इस बात का पता लगा कि मरने वालों की वास्तविक जानकारी की खबर लग गई है, तो 19 जून की दोपहर के बाद आनन फानन में एक पूरी टीम फाइलों में नोट लगाने के काम में लगा दी गई। जिस समय व जिस कक्ष में यह खानापूर्ति की जा रही थी, वहां पहुंचकर पत्रिका द्वारा लाइव कवरेज किया गया। इधर कैमरा देखकर मौजूद डॉक्टर पहले तो चुप्पी साध गए, लेकिन तुरंत बाद उन्होंने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया।
अस्पताल में करीब 300 से अधिक हुईं मौतें
जिला अस्पताल में कोरोना के फेस 01 व फेस 02 में कोविड पॉजीटिव के करीब तीन सौ मरीजोंं की मौत हुईं हंै। चार दिन पहले जिला अस्पताल पहुंचे उपसंचालक वीके के खरे द्वारा जब मौत के आंकड़े खंगाले गए, तो सामने आया कि 300 से अधिक मरीजों की मौत कोविड की वजह से अस्पताल में हुई है। लेकिन दूसरी तरफ जिला प्रशासन के रिकार्ड की बात की जाए, तो यहां मरने वालों की संख्या 175 ही दर्शायी गई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लगभग 120 से अधिक मरीजों की मौत होने की बात जिला प्रशासन को नहीं मिली। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कोविड वार्ड तक ही मृतक की फाइल सीमित रही और जानकारी आगे नहीं बड़ी।
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नहीं मिल रहे प्रमाण पत्र
जिला अस्पताल के जिस कक्ष से मृत्यु प्रमाण बनते हैं, वहां मृतकों केे परिजनों का तांता मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए लग जाता है। लेकिन प्रमाण पत्र नहीं मिल रहे हैं। यहां वजह यह है कि मृतकों की जानकारी उस कक्ष तक नहीं पहुंचाई जा रही है, जहां पर प्रमाण पत्र बनते हैं। ऐसे में प्रमाण पत्र जारी करने वाले कर्मचारी को मृतकों के परिजन धमका रहे हैं और बदसलूकी भी कर रहे हैं, साथ ही प्रमाण पत्र के लिए परिजनों को भी विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।