सिंग्रामपुर के जंगल से अब तक शुगर नाशक, लकवा और रक्त शोधक जैसी बीमारियों के इलाज में उपयोग होने वाली औषधियां खोजी जा चुकी हैं। इनमें धामन, काली मूसली, कलिहाल, बीजा, गुड़मार, झमलौउआ आदि औषधियां प्रमुख हैं। आयुर्वेद के विशेषज्ञ बताते हैं कि सिंग्रामपुर के जंगल में कई प्रजाति के पेड़-पौधे हैं, जो इसे अन्य जंगलों से विशिष्ट बनाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सिंग्रामपुर के जंगल में अनेक जड़ी-बूटियां भी हैं, जबकि अभी इस जंगल की पूरी तरह से खोजबीन भी नहीं हुई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सिंग्रामपुर के जंगल में आयुर्वेद का अभी भी खजाना छुपा हुआ है। उम्मीद है कि यहां से और भी कई औषधियां और जड़ी-बूटियां मिलेंगी। सिंग्रामपुर के अलावा भी जिले के अन्य जंगल आयुर्वेद का खजाना समेटे हुए हैं। हालांकि इन जंगलों में कभी खोजबीन नहीं हुई। यदि जिले के अन्य जंगलों में जड़ी-बूटियों की खोजबीन की जाए, तो अनेक रोगों के इलाज की औषधियां मिलने की संभावनाएं हैं। इधर, सिंग्रामपुर के जंगल से जितनी भी जड़ी-बूटियां खोजी गईं, वह विशेषज्ञों की कड़ी मेहनत का परिणाम हैं। सरकारी स्तर से इस मामले में कभी कोई मदद नहीं की गई।
यह बोले विशेषज्ञ कृपाशंकर वैद्य ने बताया कि जंगल में कई बीमारियों को दूर करने की जड़ी बूटियां मिल जातीं हैं। जो जड़ी बूटी यहां के जंगल में है यह हर जगह नहीं होती है। दमोह के अलावा आसपास के जिलों के विशेषज्ञ भी यहां आते हैं।