घर के बेकार हो चुके लोहा, कंसा प्लास्टिक, पीतल के बदले दे रहे बच्चों के खिलौना
दमोह•Aug 13, 2019 / 12:13 am•
Sanket Shrivastava
New way to sell sports toy
बनवार. सावन का महीना जहां युवाओं मेंं उमंग भाई बहनों का प्यार बुजुर्गों का आशीर्वाद खुशियों भरा घर संसार में बचपन में खिलौना के बिना रक्षाबंधन पर्व बच्चो के लिए अधूरा से लगता है। खिलौने के लिए रोना जिद करना और खिलौना मिलने पर बच्चों की खुशी का इजहार मानों पर्व की खुशियां बढ़ा देती हैं। खिलौनों के महंगे होने पर सामान्य गरीब परिवारों की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं होने पर खिलौनों की खपत बढ़ाने व्यवसायियों ने नए तरीके खोजे हैं। इस समय बनवार क्षेत्र में रज्जाक खान की चलित खिलौना दुकान घूम रही है। जो खिलौने नकद में न देकर प्राचीन परंपरा वस्तु विनिमय को आगे बढ़ा रहे हैं। वह कबाड़ के प्लास्टिक, पीतल, तांबें के पुराने बर्तन के बदले खिलौना देते हैं। खिलौनों पर ग्रामीण कम ही खर्च करते हैं, लेकिन कबाड़, पीतल व तांबे के पुराने बर्तन के बदले अपने बच्चों को खिलौना दिलाने के लिए सहर्ष तैयार हो जाते हैं। रज्जाक की तरह अन्य दुकानदार भी खिलौनों की खपत गांवों में करने के लिए इसी तरह की मोबाइल दुकान लगाकर गांव-गांव फेरी लगा रहे हैं और ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे रक्षाबंधन पर नए खिलौनों के साथ खेलते हुए नजर आ रहे हैं।
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