दिहाड़ी के पैसे बचाकर बना रहा रोबोट
दमोह जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी. दूर बसे घूरखेड़ा गांव के रहने वाले चंद्रपाल पटेल के माता-पिता मजदूर हैं जो दूसरे राज्यों में जाकर मजदूरी करते हैं। उनकी दिहाड़ी में से ही बचत करके चंद्रपाल इन दिनों एक रोबोट बनाने में जुटे हुए हैं। अब तक रोबोट के फाइबर स्ट्रक्चर के अलावा कुछ पॉर्ट तैयार हो चुके हैं। रोबोट के हाथ चलने लगे हैं, गर्दन भी झुकने लगी है और बोलने के लिए मुंह चलने लगा है। चंद्रपाल का कहना है कि ये महज प्राइमरी काम है अभी 80 प्रतिशत काम होना बाकी है जिसके लिए सेंसर, मोटर, हल्की बैटरी, प्रोग्रामिंग सहित अन्य उपकरणों की जरूरत होगी जिस पर 7-8 लाख तक का खर्च आएगा लेकिन उनके पास फिलहाल पैसों की व्यवस्था नहीं है जैसे जैसे पैसा आएगा काम को आगे बढ़ाते जाएंगे। यह भी पढ़ें
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सेना के लिए बनाना चाहते हैं रोबोट
चंद्रपाल ने बताया कि वो इस रोबोट को बनाने के बाद पहला ऑफर सरकार को देना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि सरकार इस रोबोट को खरीदे और बॉर्डर पर इसकी ड्यूटी लगाए यही उसका सपना है। क्योंकि वो बॉर्डर पर जवानों को शहीद होते नहीं देख सकता है। चंद्रपाल ने बताया कि वो वैज्ञानिक बनकर टेक्नालॉजी में बदलाव लाना चाहते हैं। यह भी पढ़ें