दमोह. वनमण्डल में संसाधनों और अमले की कमी वन माफियाओं को खुलेआम मौके दे रही है। आलम ये है कि शिकार, पेड़ों खासकर सागौन की अवैध कटाई, खनन और वन भूमि पर कब्जे जैसी गतिविधियों में लगातार इजाफा हो रहा है। उधर, जंगलों की सुरक्षा में जुटे बीट गार्ड इस समय खुद की सुरक्षा भी खतरे में चिंतित है। क्योंकि इनके पास केवल लाठी डंडों का सहारा है। जबकि वन संपदा को नुकसान पहुंचाने वाले धारदार सहित हथियारों से लैस रहते हैं। ऐसी स्थिति में जब वन अमले का सामना होता है, तो वन अमले की मुश्किल बढ़ जाती है। जंगलों की सुरक्षा के लिए वन विभाग के पास न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही आधुनिक उपकरण। इधर तस्करों की बढ़ती सक्रियता के आगे वन अमले की कार्यक्षमता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि जंगलों में वन्यजीवों की सुरक्षा भी खतरे में है। वहीं अंधाधुंध कटाई से सागौन जैसे बहुमूल्य वृक्षों की अवैध कटाई से जंगल सपाट मैदान में तब्दील होते जा रहे हैं।
नाम न छापने की शर्त पर कुछ बीट गार्डों ने बताया कि सीमित संसाधनों और असुरक्षा के कारण जंगल में काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। तस्करोंं का सामना करते हुए अक्सर उनकी जान जोखिम में पड़ जाती है। जंगल में गश्त के दौरान कई बार उन्हें ऐसे हालात का सामना करना पड़ता है।
2594 वर्ग किमी में जंगल, सुरक्षा कर्मी महज 300
जिले का कुल क्षेत्रफल 7306 वर्ग किमी है। जिसमें 2594 वर्ग किमी क्षेत्र जंगल से घिरा है। इतने विशाल जंगल की सुरक्षा के लिए दमोह वनमंडल में तकरीबन 300 सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। यह संख्या जंगल की प्रभावी सुरक्षा के लिए अपर्याप्त है। साथ ही इन कर्मियों के पास माफियाओं से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन भी नहीं है। जिससे अवैध शिकार, कटाई और खनन जैसी गतिविधियां बढ़ रही हैं।
ऐसे समझिए जंगल में सुरक्षा और अवैध गतिविधियां की स्थिति
जिले का कुल क्षेत्रफल 7306 वर्ग किमी है। जिसमें 2594 वर्ग किमी क्षेत्र जंगल से घिरा है। इतने विशाल जंगल की सुरक्षा के लिए दमोह वनमंडल में तकरीबन 300 सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। यह संख्या जंगल की प्रभावी सुरक्षा के लिए अपर्याप्त है। साथ ही इन कर्मियों के पास माफियाओं से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन भी नहीं है। जिससे अवैध शिकार, कटाई और खनन जैसी गतिविधियां बढ़ रही हैं।
ऐसे समझिए जंगल में सुरक्षा और अवैध गतिविधियां की स्थिति
- कटाई
पेड़ों की अवैध कटाई से जिले की कोई वन परिक्षेत्र अछूता नहीं है। तेजगढ़, तेंदूखेड़ा, हटा, सगौनी, मडिय़ादो ऐसे क्षेत्र हैं। जहां जलाऊ लकड़ी के साथ सागौन की खूब कटाई हो रही है।
2 शिकार
जुलाई में हटा के बिला गांव में पुलिस ने शिकार के बाद मृत काले हिरण को लेकर भाग रहे एक आरोपी को पकड़ा था। इसी तरह जिले में शिकार के और भी मामले सामने आ चुके हैं।
3 कब्जे
सैकड़ों एकड़ वन भूमि अवैध कब्जों की जद में है। बटियागढ़ क्षेत्र में वन भूमि पर जहां रहवासी इलाके विकसित हुए, वहीं तेंदूखेड़ा, मडिय़ादो, तेजगढ़, पटेरा सागौनी आदि में वन भूमि पर जमकर खेती हो रही है।
4 हमले
जुलाई में तेजगढ़ रेंज के खामखेड़ा गांव में वामभूमि पर कब्जा रोकने पहुंची वन विभाग की टीम पर अतिक्रमणकारियों ने हमला किया था। इसके अलावा भी कई बार जिले में इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं।
जंगलों में सुरक्षा के इंतजाम हैं। अमले ने जिले में कई महत्वपूर्ण कार्रवाइयां की हैं। जिसमें अवैध खनन रोकने से लेकर अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई शामिल हैं। सुरक्षा और मजबूत हो, इसके लिए भी प्रयास किए जाएंगे।
ईश्वर जरांडे, डीएफओ