मप्र के दमोह से केदारनाथ की यात्रा
यदि आप मप्र के दमोह से केदारनाथ धाम की दूरी ७६८ किमी है, यह यात्रा ट्रेन रूट से करना चाहते हैं तो दमोह स्टेशन से आपको पहले दिल्ली स्टेशन के लिए ट्रेन पकडऩी होगी, वैसे कम समय में दमोह स्टेशन से दिल्ली हजरत निजामुद्दीन स्टेशन तक आपको संपर्क क्रांति ट्रेन सुविधाजनक होगी, हालांकि और भी ट्रेने दमोह स्टेशन से मिल सकती हैं। दिल्ली से यात्रा २९४ किमी की है, लेकिन केदारनाथ के लिए देहली से डायरेक्ट कोई ट्रेन नहीं है। यहां से ट्रेन आपको हरिद्वार तक पहुंचाएगी और यहां से चार पहिया वाहन अथवा बस केदारनाथ धाम तक पहुंचा जा सकेगा। इसके अलावा दिल्ली से सीधे बस के द्वारा भी केदारनाथ पहुंचा जा सकता है। वहीं यदि आप हवाई यात्रा करना चाहते हैं, तो पहले आप दमोह से १०० किमी दूर जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट पहुंचना होगा। यहां से आपको दिल्ली के लिए फ्लाइट मिलेगी और दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से देहरादून के जाली ग्रांट एयरपोर्ट पहुंचा जा सकता है। देहरादून से केदारनाथधाम के लिए हेलीकाप्टर की व्यवस्था भी रहती है।
केदारनाथ के दर्शन के लिए इन पंच स्थानों का विशेष महत्तव
1. केदारनाथधाम – यह मुख्य पीठ है, इसे पंच केदार में प्रथम कहा जाता है, माना जाता है कि भगवान शिव ने बैल अर्थात महिषरूपधारण कर पांडवों को उनकी तपस्या से प्रशन्न होकर दर्शन दिए थे।
2. मध्यमेश्वर- इन्हें पंच केदार में दूसरा माना जाता है। हिंदू तीर्थ में यह स्थान भी प्रमुख है, यहां महिषरूपधारी भगवान शिव की नाभि शिवलिंग के रूप में है।
3. तुंगनाथ – इसे पंच केदार का तीसरा स्थान माना जाता है, यहां स्थित मंदिर की मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी।
4. रूद्रनाथ- यह पंच केदार में चौथे हैं, यहां महिषरूपधारी शिव का मुख स्थित है। यहां तक पहुंचना काफी दुर्गम है।
5. कल्पेश्वर – यह पंच केदार का पांचवा स्थान है। यहां पर महिषरूपधारी भगवान की शिव की जटाओं की पूजन की जाती है।
केदारनाथ धाम से जुड़ी खास बातें
हिमालय की चोटी पर केदारनाथ धाम स्थित है। यहां समीप स्थित रूद्रप्रयाग में पवित्र नदी अलकनंदा और मंदाकिनी दोनों नदियों का पवित्र संगम होता है। यहां से निकली जलधारा भागीरथी में मिल जाती है गंगा के नाम से जानी जाती है। केदारनाथ मंदिर में तांबा धातु का विशेष उपयोग किया गया है। रूद्रप्रयाग जिले में स्थित इस स्थान की समुद्रतल से ३५८४ मीटर की ऊंचाई है। यह मंदिर वर्ष की आधी समयावधि तक बर्फ से ढका रहता है। केदारनाथ मंदिर के समीप ही चारों धामों की खोज करने वाले आदि गुरू शंकराचार्य का समाधि स्थल भी है।