दमोह

जिला अस्पताल में 19 विशेषज्ञ, 16 एमओ फिर भी ओपीडी में मिल रहे महज 9 डॉक्टर

जिला अस्पताल में 19 विशेषज्ञ, 16 एमओ फिर भी ओपीडी में मिल रहे महज 9 डॉक्टर,सामान्य ओपीडी में महज एक या दो डॉक्टर के भरोसे, एक-एक के नंबर ओपीडी लेकर बनाई जा रही भीड़, लोगों को किया जा रहा परेशान

दमोहMay 16, 2024 / 08:12 pm

Samved Jain

Jila Hospital

दमोह. जिला अस्पताल में बढ़ती हुई मरीजों की संख्या और स्टाफ की कमी की बातें लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन हकीकत में यहां आम जनमानस को व्यवस्थाओं के नाम पर परेशान किया जा रहा हैं। पत्रिका ने बुधवार को जिला अस्पताल की ओपीडी की स्थिति देखी तो हकीकत सामने आई। यहां जिला अस्पताल में पदस्थ 35 विशेषज्ञ और मेडिकल ऑफिसर में से महज 9 डॉक्टर ही ओपीडी में नजर आए। इनमें से भी 2 डॉक्टर आयुष के थे, जो 35 की गिनती में नहीं आते।

इतना ही नहीं भीड़ होने के बाद एक-एक करके पैसेंट को सामान्य ओपीडी में लिया जा रहा था, क्योंकि यहां सिर्फ एक आयुष डॉक्टर की ड्यूटी थी। इस तरह पूरा नजारा अव्यवस्था बनाने वाला नजर आया, न कि ऐसा कहीं देखने मिला कि जिला अस्पताल में इस समय अधिक भीड़ को देखते हुए अलग से कोई व्यवस्थाएं की गईं हों।

11.30 बजे के ऐसे थे हाल

पत्रिका ने 11.30 बजे जिला अस्पताल की ओपीडी पहुंचकर व्यवस्थाएं देखीं। यहां करीब 100 लोग पर्ची के लिए लाइन में लगे थे, जबकि इतने ही लोग वेटिंग एरिया में सामान्य ओपीडी में जाने के लिए थे। अंदर का नजारा यह था कि सामान्य ओपीडी में आयुष डॉक्टर सूर्यवंशी, एमओ डॉ. चके्रश अहिरवार ड्यूटी पर थे और एक-एक मरीज यहां पहुंच रहा था। इसके अलावा नाक, कान, गला में डॉ. सुधीर आर्य मौजूद थे, लेकिन यहां मरीज नहीं थे। वृद्धजन क्लीनिक में डॉक्टर नहीं था, यहां नर्स मोर्चा संभाली थी। मन कक्ष में डॉ. मधुर जैन ड्यूटी पर थे। मेडिशन में डॉ. मुकेश, शिशु रोग में डॉ. सुनील जैन मौजूद मिले। इसके अलावा नेत्र और शल्य में भी डॉक्टर थे। खास बात यह है कि इनमें एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं था, जो ओपीडी में हो। इसके अलावा अधिकांश मेडिकल ऑफिसर भी ओपीडी से नदारद थे।

सुनने वाला कोई नहीं, दिया जा रहा था टाइम

खास बात यह है कि जब सामान्य ओपीडी में ही अधिकांश मरीजों को भेजा जा रहा था। जिन्हें भी नंबर के अनुसार एंट्री दी जा रही थी। ऐसे में वेटिंग एरिया में तो भीड़ बढ़ ही रही थी। साथ ही मरीजों को एक घंटा, दो घंटा में आने का समय निजी क्लीनिक की तरह दिया जा रहा था। जबकि सामान्य ओपीडी और विशेषज्ञ ओपीडी में सभी डॉक्टर बैठे रहें तो ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होती। ऐसी स्थिति में कई मरीज बिना उपचार के ही वापस लौटने मजबूर हो रहे हैं। भीड़ बढऩे की स्थिति में एक-दो डॉक्टर पर लोड बढऩे पर वह भी समय अनुसार ही चेकअप करते नजर आए। ऐसी स्थिति में 4 घंटे के ओपीडी टाइम में अधिकतम 100 मरीज ही एक डॉक्टर देख सकता हैं।

कहीं नजर नहीं आता रोस्टर, जनता पूछे कहां हैं डॉक्टर

जिला अस्पताल में 19 विशेषज्ञ, 16 मेडिकल ऑफिसर और 2 आयुर्वेद के डॉक्टर सहित 37 की संख्या है। 6 से 7 डॉक्टर ओपीडी में आ रहे हैं। 3 गायनिक ओपीडी में रहती हैं। इस तरह 10 डॉक्टर ओपीडी देख रहे हैं। तो 27 डॉक्टर क्या कर रहे हैं, सवाल खड़ा होता है। दरअसल, जिला अस्पताल में ओपीडी के अलावा डॉक्टर्स के वार्ड में राउंड होते हैं। इसके अलावा एक-एक डॉक्टर की तीन पहर में इमरजेंसी ड्यूटी होती है। इसके अलावा ओटी में ऑन कॉल डॉक्टर मौजूद रहते हैं। ऐसे में 37 डॉक्टर का प्रॉपर रोस्टर क्या है, कहां किस की ड्यूटी कितने समय रहती है, यह जनता को कहीं दिखाई नहीं देता हैं। ऐसे में आम जनमानस रोजाना पूछता नजर आता है कि आखिर कहां हैं डॉक्टर? खास बात यह है कि अधिकांश डॉक्टर अपनी क्लीनिक पर समय पर उपलब्ध रहते हैं। क्या कहता है नियम – नियम के अनुसार प्रति डॉक्टर को ओपीडी में समय देना अनिवार्य है। साथ ही कम से कम 25 मरीजों को देखना जरूरी है। जिसका रेकॉर्ड भी मेंटेन होता है।
  • फैक्ट फाइल –
  • 19 विशेषज्ञ डॉक्टर –
  • 16 मेडिकल ऑफिसर –
  • 2 आयुर्वेद डॉक्टर –
  • 135 स्टाफ नर्स –
  • 8 संविदा वार्ड वाय –
  • 16 कर्मचारी अन्य मद से –
  • 500+ ओपीडी मौजूदा समय में –
  • 416 मरीज जिला अस्पताल में भर्ती –
  • 300+100 बिस्तर का है जिला अस्पताल

हमारे पास स्टाफ कम है

ओपीडी में हम सभी डॉक्टर्स को नहीं भेज सकते हैं। विशेषज्ञ पूरे नहीं है, कुछ गायनिक भी है। इसके अलावा कुछ डॉक्टर को वार्ड के राउंड लेना होते हैं, जिनका पूरा समय इसी में निकल जाता है। इसके अलावा एक-एक करके मरीजों को चेकअप कराने की जो व्यवस्था, उसमें क्या बदलाव किए जा सकते हैं, दिखवाते हैं।
डॉ. राजेश नामदेव, सिविल सर्जन दमोह

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