दमोह. दमोह में एक बार फिर डिजिटल अरेस्ट का एक मामला सामने आया है। जिसमें एक महिला को सायबर अपराधियों ने एक घंटे तक डिजिटल अरेस्ट किए रखा। परिजनों की सतर्कता से वह धोखाधड़ी का शिकार तो नहीं हो पाई है। सायबर टीम की समझाइश के बाद अब महिला की मानसिक हालत भी सामान्य है।
दरअसल, मामला जबलपुर नाका चौकी क्षेत्र से सामने आया। जहां आमचौपरा क्षेत्र में रहने वाली ट्यूशन टीचर महिला को सुबह करीब ९ बजे एप जेनरेटेड कॉल ९२ कोड से आया। जैसे ही कॉल रिसीव किया, उसे बताया गया कि हैदराबाद पुलिस से बात कर रहे हैं, आपका मोबाइल नंबर अवैध गतिविधियों में पाया गया है। इससे अवैध काम हो रहे हैं। अधिकारी से बात करने के लिए ९ दबाएं। जिसे दबाते ही एक व्यक्ति ने पुलिस बनकर बात की और बताया कि आपके विरुद्ध हैदराबाद पुलिस में एफआइआर दर्ज की गई है। जरूरी कार्रवाई के लिए हैदराबाद पुलिस का वॉट्स कॉल आएगा। आप डिजिटल अरेस्ट हो चुकी हैं, व्यवधान न हो इसके लिए स्वयं को कमरे में बंद कर लें।
इस कॉल के बाद महिला घबरा गई और स्वयं को एक कमरे में डिजिटल अरेस्ट कर लिया। वह करीब एक घंटे तक कमरे में बंद रही। परिजनों को जैसे भनक लगी, तत्काल ही उन्होंने मामले की जानकारी सायबर सेल शाखा हेड कांस्टेबल राकेश अठ्या को दी। अठ्या भी सुबह सवा १० बजे उसके घर पहुंच गए। जहां बमुश्किल महिला को कमरे से बाहर निकाला गया। वह बहुत डरी हुई थी। जिसे बताया गया कि वह अब सुरक्षित है। उसके नंबर से कोई अवैध काम नहीं हुआ। न ही कोई एफआइआर हुई है। ये सब फ्रॉड काल थी। इसके बाद ही महिला ने राहत की सांस ली।
दरअसल, मामला जबलपुर नाका चौकी क्षेत्र से सामने आया। जहां आमचौपरा क्षेत्र में रहने वाली ट्यूशन टीचर महिला को सुबह करीब ९ बजे एप जेनरेटेड कॉल ९२ कोड से आया। जैसे ही कॉल रिसीव किया, उसे बताया गया कि हैदराबाद पुलिस से बात कर रहे हैं, आपका मोबाइल नंबर अवैध गतिविधियों में पाया गया है। इससे अवैध काम हो रहे हैं। अधिकारी से बात करने के लिए ९ दबाएं। जिसे दबाते ही एक व्यक्ति ने पुलिस बनकर बात की और बताया कि आपके विरुद्ध हैदराबाद पुलिस में एफआइआर दर्ज की गई है। जरूरी कार्रवाई के लिए हैदराबाद पुलिस का वॉट्स कॉल आएगा। आप डिजिटल अरेस्ट हो चुकी हैं, व्यवधान न हो इसके लिए स्वयं को कमरे में बंद कर लें।
इस कॉल के बाद महिला घबरा गई और स्वयं को एक कमरे में डिजिटल अरेस्ट कर लिया। वह करीब एक घंटे तक कमरे में बंद रही। परिजनों को जैसे भनक लगी, तत्काल ही उन्होंने मामले की जानकारी सायबर सेल शाखा हेड कांस्टेबल राकेश अठ्या को दी। अठ्या भी सुबह सवा १० बजे उसके घर पहुंच गए। जहां बमुश्किल महिला को कमरे से बाहर निकाला गया। वह बहुत डरी हुई थी। जिसे बताया गया कि वह अब सुरक्षित है। उसके नंबर से कोई अवैध काम नहीं हुआ। न ही कोई एफआइआर हुई है। ये सब फ्रॉड काल थी। इसके बाद ही महिला ने राहत की सांस ली।