दमोह

यहां है हनुमान जी की अद्भुत प्रतिमा, 24 घंटे अखंड ज्योति रहती है प्रज्जवलित

पाताल लोक को छूता है बजरंगी बली का एक पैर

दमोहMar 31, 2018 / 12:43 pm

pushpendra tiwari

Hanuman jayanti dakshin mukhi hanuman pratima

दमोह/तेंदूखेड़ा. नगर से लगभग 25 कि.मी. दूर वनांचल में स्थित ग्राम पंचायत पाठादौ व महगुवां कलॉ के पास प्राचानी अजंनीपुत्र हनुमान मंदिर स्थित है। यहां पर विराजमान अंजनीपुत्र हनुमान जी के दर्शनों के लिए काफी संख्या में भक्त प्रत्येक मंगलवार और शनिवार पहुंचते हैं। इस हनुमान मंदिर की मान्यता है कि यहां भक्तों की मुरादें पूर्ण होती हैं। समूचें क्षेत्र के लोग यहां आकर हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त कर धर्मलाभ प्राप्त करते हैं। साथ ही इस सिद्ध स्थान पर प्रतिमा के समीप चौबीसों घंटे अखंड ज्योति प्रज्जवलित रहती है। इस स्थान पर दूर-दूर से लोग पवनसुत हनुमान के दर्शन करने पहुंचते हैं।


हजारों वर्ष पुरानी है दक्षिण मुखी हनुमान की प्रतिमा


दौनी में विराजमान हनुमान प्रतिमा काफी वर्षों प्राचीन है। इस प्रतिमा के पास एक प्राचीन बावड़ी भी है। लोगों ने बताया कि इस बावड़ी में दौनी, पाठादौ गांव के हजारों लोगों की जलापूर्ति होती है। सिद्ध मनुमान मठ के बारे में लोगों ने बताया कि सिद्ध हनुमान मठ में हनुमान जी की प्रतिमा के पैर को सैकड़ों फुट खोदे जाने के बाद भी उनके पैरों के छोर तक नही पहुंचा जा सका है।


पूरनलाल आदिवासी ग्राम दौनी ने बताया कि मंदिर प्रतिमा के पास बनी बावड़ी ग्राम दौनी, पाठादौ सहित अन्य ग्रामों को गर्मी के दिनों में प्राणदायिनी है। भीषण जलसंकट के समय समस्त जल स्रोत सूख जाते हैं लेकिन हनुमान जी की कृपा से यह बावड़ी कभी खाली नहीं होती है।
बताया जाता है कि सिद्ध हनुमान मठ में जो भी लोग मनोकामना लेकर यहां आते हैं उनकी संपूर्ण मनोकामना पूर्ण होती है। इस सिद्ध स्थल पर पहुंचने पर मन को शांति होती है, साथ ही यहां आने वालों को भगवान की इस प्राचीन प्रतिमा की महिमा की जानकारी भी प्राप्त होती है।


ग्राम के सुरेंद्र यादव 30 वर्ष ने बताया कि मंदिर में अनेकों बार धर्मप्रेमियों द्वारा कोशिश की गई कि मंदिर का निर्माण कराया जाए लेकिन निर्माण कार्य यहां संभव नहीं हो पाता है। किसी न किसी कारण की वजह से निर्माण संबंधी योजना रूक जाती है।


ग्राम के मोहन यादव ने बताया कि सिद्ध हनुमान प्रतिमा एक महुआ के झाड़ के नीचें विराजमान है। मूर्ति का एक पैर मुगल सम्राटों द्वारा खंडित कर दिया गया था व एक पैर जमीन के काफी अंदर तक है। यहां के लोगों का मानना है कि जमीन के अंदर का पैर पाताल लोक को छूता है। बताया जाता है कि एक बार मूर्ति चोर गिरोह द्वारा मूर्ति को चुराने की चेष्टा भी की गई, लेकिन चोरों को सफलता नहीं मिल सकी थी। वहीं पाठादौ के सीताराम ने बताया कि सतगुरूदेव किशनगढ़ वाले दादाजी सरकार द्वारा आयोजित यज्ञ के तीसरे दिन वह यहीं पर मंदिर प्रांगण में ब्रह्मलीन हुए थे। श्रृद्धालुओं द्वारा उनकी आसन व धुनी का निर्माण यहीं कराकर पूजन अर्चन किया जाता है।


पुरातत्व संग्रहालयों में पहुंची यहां की प्राचीन मूर्तियां


गांव के अनेक लोगों ने बताया कि पुरातत्व मूर्तियां कलचुरी कालीन पाषाण प्रतिमाएं हैं, कुछ मूर्तियां रानी दुर्गावती संग्रहालय जबलपुर, दमयंती संग्रहालय दमोह व प्राचीन मूर्तियां रानी दुर्गावती प्रतिमा सिंग्रामपुर के पास संग्रहित की गई हैं व बहुत सी मूर्तियां अभी भी हनुमान मठ के समीप स्थापित हैं।


दौनी में स्थित हनुमान स्थल के आसपास पंचायत द्वारा सामुदायिक भवन व चारों ओर वाऊंड्रीवाल बनवा दी गई है, जिससे यह स्थल काफी सुरक्षित व सौंदर्य से परिपूर्ण हो चुका है। लगभग 4 एकड़ स्थल में स्थित यह स्थान दमोह, जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है, जिसके कारण श्रद्वालु हनुमान जयंती पर सैकड़ों की संख्या में पहुंचते हैं।

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