दमोह

दमोह मॉडल स्टेशन पर नाम की जीआरपी चौकी

रेलवे स्टेशन दमोह, जिसे मॉडल स्टेशन का दर्जा प्राप्त है। यहां जीआरपी थाना की कमी से बड़ी समस्या बनी हुई है।

दमोहOct 03, 2024 / 11:46 am

pushpendra tiwari

दमोह. रेलवे स्टेशन दमोह, जिसे मॉडल स्टेशन का दर्जा प्राप्त है। यहां जीआरपी थाना की कमी से बड़ी समस्या बनी हुई है। दरअसल, वर्तमान में यहां सिर्फ एक जीआरपी सहायता केंद्र है। जिसे कहते, तो जीआरपी चौकी हैं, लेकिन हकीकत में यह रजिस्टर्ड चौकी नहीं है। ये सहायता केंद्र स्टेशन के आकार और आसपास के आधा दर्जन स्टेशनों की सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ साबित हो रहा है।
दमोह रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन हजारों यात्री आते जाते हैं और सुरक्षा की दृष्टि से यहां एक पूर्ण जीआरपी थाना की आवश्यकता है। दमोह और आसपास के स्टेशनों पर किसी भी प्रकार की घटना होती हैए तो एफआइआर दर्ज कराने के लिए पीडि़तों को सागर तक जाना पड़ता है। जो कि करीब 80 किमी दूर है। इतनी दूरी सिर्फ समय साध्य है, बल्कि पीडि़तों के लिए भी असुविधाजनक है। दमोह में लंबे अरसे से जीआरपी थाना की मांग उठा रही है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यात्रियों का कहना है कि यदि दमोह रेलवे स्टेशन पर जीआरपी थाना की स्थापना हो जाए, तो न केवल सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि अपराधों की रोकथाम में भी मदद मिलेगी।
एफआइआर के लिए सागर जाना पड़ता है

दमोह और आसपास के लगभग 6 रेलवे स्टेशन सागर जीआरपी थाना के तहत आते हैं। इन स्टेशनों पर हुई कोई भी घटना की एफआइआर दर्ज कराने के लिए पीडि़तों को सागर जाना पड़ता है, जो कि विभिन्न स्टेशनों से 70 से 100 किमी तक दूर है। इस कारण पीडि़तों को काफी कठिनाइयां होती हैं। दमोह में सिर्फ कच्ची रिपोर्ट लिखी जा रही है।
आधा दर्जन स्टेशनों के बीच एकमात्र हेल्प सेंटर

पथरिया से गोलापट्टी तक के बीच 6 रेलवे स्टेशन हैं। जिनमें गोलापट्टी, बांदकपुर, करैया भदौली, दमोह, असलाना व पथरिया शामिल हैं। इन स्टेशनों के बीच हर महीने एक डेढ़ दर्जन बड़ी वारदातें हो रही हैं। पीडि़त दमोह जीआरपी चौकी पहुंचते हैं, लेकिन यह चौकी रजिस्टर्ड नहीं है। यहां सिर्फ रिपोर्ट लिखाने की प्रक्रिया की जानकारी मिलती है, रिपोर्ट नहीं लिखी जाती। जिससे पीडि़तों को असुविधा हो रही है।
स्टाफ की भारी कमी, चाहिए 8 कर्मचारी, उपलब्ध आधे

दमोह जीआरपी चौकी में इस समय सिर्फ 4 कर्मियों का स्टाफ है, जिसमें 1 चौकी प्रभारी, 2 आरक्षक और 1 प्रधान आरक्षक शामिल हैं। यह संख्या आवश्यकता से काफी कम है। यहां 1 एएसआइ, 2 प्रधान आरक्षक, 4 आरक्षक और 1 महिला आरक्षक सहित कुल 8 कर्मियों की जरूरत है। स्टाफ की कमी के कारण सुरक्षा और अपराध नियंत्रण में कठिनाइयां हो रही हैं। जिससे खुद जीआरपी अमला भी परेशान है।
प्रयास आश्वासन तक सीमित, अब सांसद ने दिया भरोसा

दमोह में जीआरपी थाना की स्थापना की मांग वर्षों से की जा रही है। इस मुद्दे को लपककर जनप्रतिनिधियों ने कई बार आश्वासन दिया, लेकिन अब तक यहां थाना नहीं खुला। अब हाल ही में दमोह सांसद राहुल सिंह ने दमोह में जीआरपी थाना की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इसके लिए प्रयास करने का भी भरोसा किया है। अब देखना होगा कि इस बार यह वादा पूरा होता है या नहीं, क्योंकि पहले भी अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा ऐसे आश्वासन दिए गए थे, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था।
वर्जन

दमोह रेलवे स्टेशन पर रजिस्टर्ड जीआरपी चौकी नहीं है। ये मात्र जीआरपी सहायता केंद्र है। यदि कोई घटना होती है, तो दमोह जीआरपी सहायता केंद्र में पीडि़त की पूरी सहायता की जाती है, लेकिन एफआइआर के लिए सागर ही जाना पड़ता है। सहायता केंद्र में स्टाफ की कमी भी है। जिससे काम बढऩे पर दिक्कतें होती हैं।
विष्णु पासी, चौकी इंचार्ज जीआरपी दमोह
मैंने यात्रियों की परेशानी को जाना है, दमोह स्टेशन पर जीआरपी थाना व स्टाफ में वृद्धि होना नितांत जरूरी है। इसके लिए मैंने पत्र लिखा है। मेरा प्रयास है कि स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए पहले से बेहतर इंतजाम हों।
राहुल सिंह, सांसद

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