दमोह

7 बिंदुओं की रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे, नक्शे से गायब था आधा भारत, इस्लामिक शिक्षा के लिए मजबूर बच्चों के लिए था गुप्त रास्ता

माना जा रहा है कि इस रास्ते से स्कूल के स्टूडेंट्स को इस्लामिक शिक्षा पढऩे को मजबूर कर भेजा जाता होगा। हैरानी की बात यह है कि स्कूल में भारत के भौगोलिक नक्शे का गलत पाठ पढ़ाया जा रहा था। ऐसे कई खुलासे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की निरीक्षण रिपोर्ट में सामने आए हैं। 7 बिंदुओं के इस पत्र में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आयोग ने इन बिंदुओं के आधार पर स्कूल की मान्यता रद्द करने को कहा है।

दमोहJun 09, 2023 / 11:40 am

Sanjana Kumar

दमोह। शहर के गंगा-जमुना स्कूल के मामले में लगातार कई खुलासे होते जा रहे हैं। अब एमपी एससीपीआर के सदस्यों को निरीक्षण के दौरान स्कूल की मस्जिद की ओर जाने वाला एक गुप्त रास्ता मिला है। माना जा रहा है कि इस रास्ते से स्कूल के स्टूडेंट्स को इस्लामिक शिक्षा पढऩे को मजबूर कर भेजा जाता होगा। हैरानी की बात यह है कि स्कूल में भारत के भौगोलिक नक्शे का गलत पाठ पढ़ाया जा रहा था। ऐसे कई खुलासे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की निरीक्षण रिपोर्ट में सामने आए हैं। 7 बिंदुओं के इस पत्र में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आयोग ने इन बिंदुओं के आधार पर स्कूल की मान्यता रद्द करने को कहा है।

हो रहा था राष्ट्रीय मानचित्र नीति 2005 का उल्लंघन
छात्रों को भारत का गलत भौगोलिक नक्शा पढ़ाया जा रहा है, जिसमें नक्शे के साथ छेड़छाड़ करके आधा भारत गायब कर दिया गया है। वहीं नक्शा स्कूल और उसके अन्य सभी व्यावसायियों के लोगों के रूप में उपयोग किया गया है। जो राष्ट्रीय मानचित्र नीति 2005 एवं भारतीय सर्वेक्षण के द्वारा 2016 में जारी विस्तृत दिशा निर्देशों का सीधा-सीधा उल्लंघन है।

 

केजी वन से ही दी जा रही थी इस्लामिक शिक्षा
निरीक्षण में यह भी सामने आया है कि स्कूल में केजी वन से ही इस्लामिक शिक्षा दी जा रही है। यह जानकारी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने दमोह कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखकर दी है। इसी पत्र में स्कूल से मस्जिद की ओर जाने वाले एक गुप्त रास्ते के मिलने की बात भी कही गई है। पत्र में लिखा गया है कि हो सकता है बच्चों को इस्लामिक शिक्षा के लिए मजबूर कर इसी रास्ते से भेजा जाता हो।

 

उर्दू थी अनिवार्य और प्राथमिक भाषा
इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि स्कूल के रिकॉर्ड में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी भाषा बताया गया है और हिंदी को दूसरी भाषा के रूप में इस्तेमाल किया जाना है। वहीं उर्दू को स्कूल में तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाना था। लेकिन निरीक्षण में सामने आया कि यहां अंग्रेजी या हिन्दी नहीं बल्कि उर्दू अनिवार्य और प्राथमिक भाषा के रूप में पढ़ाई जा रही थी। इसके साथ ही उपभाषा में स्टूडेंट की मातृभाषा तक नहीं पढ़ाई जा रही थी। साहित्य के रूप में स्ट्ूडेंट्स को जबरन उर्दू भाषा का साहित्य पढ़ाया जा रहा था।

हिंदू बच्चों पर इस्लामिक बातें याद करने का था दबाव
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि गंगा-जमुना स्कूल के केजी वन के सिलेबस में धर्म विशेष से जुड़े विषयों को हिंदू बच्चों को भी पढ़ाया जा रहा था। केजी के बच्चों को इस्लाम से जुड़ी बातें बताई जा रही थीं। वहीं उन्हें इन बातों को याद करने का दबाव बनाया जा रहा था। इसके अलावा उन्होंने अन्य बिंदुओं पर भी कार्यवाही करने हेतु कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है तथा शाला की मान्यता को निरस्त करने के लिए निर्देशित कर एफआइआर करने को कहा है।

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