दमोह. मंगलवार तक खेतों में लहलहा रहीं उड़द, मूंग, सोयाबीन सहित अन्य फसलें बारिश के बाद बुधवार को जमीन पर फैली नजर आईं। कई जगहों पर कटी फसलें बारिश से भरे पानी में बह गई तो कई जगहों पर खेत में पानी भरने से फसलें खराब हो गईं। जिले भर में तबाही बनकर आई बारिश से करीब २० हजार हेक्येटर तक की फसलें खराब होने की आशंका है। इधर, अब तक प्रशासन ने सर्वे तक शुरू नहीं कराया है।
पत्रिका ने हटा, पटेरा, तेंदूखेड़ा, बटियागढ़, जबेरा, पथरिया और दमोह ब्लॉक में अलग-अलग जगहों पर फसलों की स्थिति को जानने का प्रयास। जहां ७० प्रतिशत से अधिक किसान फसल खराबी की बात कर रहे हैं। तेज बारिश से जहां खड़ फसल बिछ गई, वहीं खेतों में पानी भरने से फसल में १०० प्रतिशत तक का नुकसान है। इसके अलावा खेतों में मिट्टी जम जाने से खेत भी खराब हो गए हैं। आपदा बनकर आई बारिश के बाद अब किसान सर्वे की मांग कर तत्काल मुआवजा की बात कर रहे हैं।
किसान प्रीतम पटेल, हरिनारायण लोधी ने कहा कि तीन दिन की बारिश से फसलें खराब हो गई हैं। बची हुई फसल खेतों में पानी भरे रहने के कारण सडऩे लगी हैं। ऐसे में किसान की खड़ी फसल का नुकसान हुआ है, जिससे हम सदमे में हैं। नरङ्क्षसहगढ़, बटियागढ़ क्षेत्र के ६० प्रतिशत से अधिक किसानों को इससे नुकसान है। मडिय़ा ग्राम के किसान रामचंद्र पटेल ,सकतपुर से हरिराम पटेल, मोटा से गिरधारी पटेल ने बताया कि बाढ़ के कारण किसानों पर आफत आ गई बुधवार शाम तक नदी नाले उतारने का नाम नहीं ले रहे। इससे सबसे ज्यादा मूंग, उड़द की फसल खराब हुई है। इसके अलावा मक्का, सोयाबीन सहित अन्य फसलों को भी बेजा नुकसान है।
पत्रिका ने हटा, पटेरा, तेंदूखेड़ा, बटियागढ़, जबेरा, पथरिया और दमोह ब्लॉक में अलग-अलग जगहों पर फसलों की स्थिति को जानने का प्रयास। जहां ७० प्रतिशत से अधिक किसान फसल खराबी की बात कर रहे हैं। तेज बारिश से जहां खड़ फसल बिछ गई, वहीं खेतों में पानी भरने से फसल में १०० प्रतिशत तक का नुकसान है। इसके अलावा खेतों में मिट्टी जम जाने से खेत भी खराब हो गए हैं। आपदा बनकर आई बारिश के बाद अब किसान सर्वे की मांग कर तत्काल मुआवजा की बात कर रहे हैं।
किसान प्रीतम पटेल, हरिनारायण लोधी ने कहा कि तीन दिन की बारिश से फसलें खराब हो गई हैं। बची हुई फसल खेतों में पानी भरे रहने के कारण सडऩे लगी हैं। ऐसे में किसान की खड़ी फसल का नुकसान हुआ है, जिससे हम सदमे में हैं। नरङ्क्षसहगढ़, बटियागढ़ क्षेत्र के ६० प्रतिशत से अधिक किसानों को इससे नुकसान है। मडिय़ा ग्राम के किसान रामचंद्र पटेल ,सकतपुर से हरिराम पटेल, मोटा से गिरधारी पटेल ने बताया कि बाढ़ के कारण किसानों पर आफत आ गई बुधवार शाम तक नदी नाले उतारने का नाम नहीं ले रहे। इससे सबसे ज्यादा मूंग, उड़द की फसल खराब हुई है। इसके अलावा मक्का, सोयाबीन सहित अन्य फसलों को भी बेजा नुकसान है।
खेतों में पानी भरने से बह गईं फसलें
व्यारमा नदी के किनारे बसे ग्राम गढिय़ा,चनपुरा में फसलें डूब जाने से तबाह हो गई हैं। वहीं अन्य क्षेत्रों की फसलों की बात की जाए तो अधिक वर्षा होने से धान की फसल छोड़कर सभी फसलें चौपट हुई हैं। जिसमें सर्वाधिक नुकसान व्यारमा नदी किनारे किनारे बाढ़ का पानी खेतों में भर जाने से उड़द, मूंग की फसलों को हुआ है। खेतों में पानी के भराव की वजह से गांव के चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दे रहा था। किसान देवेंद्र यादव ने बताया नदी की बाढ़ का पानी खेतों में भर जाने से उड़द, तिल्ली, मूंग की फसलें चौपट हो गई हैं। खेतों में भर पानी की वजह से उक्त फसलों को भारी नुकसान हुआ है।
फैक्ट फाइल
03 लाख हेक्टेयर में बोवनी।
20 हजार हेक्टेयर की फसलें बर्बाद।
5000 से अधिक किसानों को बारिश से नुकसान।
50 से अधिक गांवों में अब भी भरा है पानी।
किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। बाढ़ में खराब हुई फसल का सर्वे जल्द ही कराया जाएगा। अभी नहीं कहा जा सकता कि कितनी फसल खराब हुई है। शासन से निर्देश मिलते ही सर्वें प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
सुधीर कोचर, कलेक्टर दमोह
सुधीर कोचर, कलेक्टर दमोह