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नाले से निकासी न होने पर बन जाती है ये स्थिति
बता दें कि, अस्पताल में पानी सिर्फ बारिश की वजह से ही नहीं भरा है। बल्कि नजदीक से गुजरने वाले नाले से पर्याप्त गंदे पानी की निकासी न होने से थोड़ा बहुत पानी गिरने पर ही अस्पताल में चारों और कीचड़ ही कीचड़ हो जाती है। बता दें कि,जिले में फिलहाल तो बारिश नहीं हो रही, लेकिन पिछले महीने हुई बारिश का असर यहां अब भी साफ दिखाई दे रहा है।
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100 गांवों के लिए सिर्फ एक पोस्टमॉर्टम हाउस
आपको बता दें, जिले में आसपास बने 100 गांवों में किसी भी दुर्घटना का शिकार होकर जान गंवाने वाले को इसी अस्पताल के पोस्टमॉर्टम रूम में लाया जाता है। बावजूद इसके भी यहां की व्यवस्थाओं पर किसी का भी ध्यान नहीं रहता। किसी भी तरह का रखरखाव नहीं किया जाता। अस्पताल से जिन पीड़ितों का वास्ता पड़ता है उनके मुताबिक, पोस्टमॉर्टम घर तक शव को लाना और वहां से वापस वाहन तक लाने में मृतक के परिजन को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लोगों ने बताया कि कीचड़ के बीच से निकलने में हर वक्त ये डर लगा रहता है कि, कहीं शव गिर न जाए। लोगों ने बताया कि, इस संबंध में कई बार अस्पताल प्रबंधन से शिकायत की जा चुक है, लेकिन सुनवाई के लिये कोई तैयार नहीं।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
मामले को लेकर जब कलेक्टर एस.कृष्ण. चैतन्य से मीडिया द्वारा सवाल पूछा गया, तो वो भी इस संबंध में किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से बचते दिखाई दिये। वे महज कीचड़ भरे रास्ते से निरीक्षण कर वापस अपने दफ्तर लौट आए। वहीं, इस संबंध में मुख्य स्वास्थ चिकित्सा अधिकारी संगीता त्रिवेदी ने बताया कि, मामला संज्ञान में आने के बाद शीघ्र समस्या का समाधान किया जाएगा।
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