पत्रिका ने कचरा प्रसंस्करण केंद्र पर देखा कि यहां सब कुछ बंद था। कोई भी कर्मचारी यहां देखरेख तक के लिए नहीं था। शहर से दूर यह किसी फिल्मी सेट की तरह नजर आ रहा था। जैसे कचरा प्रसंस्करण केंद्र का फिल्मी सूट होने के बाद इसे ऐसे ही निर्देशक ने छोड़ दिया हो और चला गया हो। यहां फोटोग्राफी के लिए बकायदा हर एक सुविधा और प्रसंस्करण केंद्र के बोर्ड लगे हुए थे। कुछ बोर्ड तो इस तरह पास-पास लगे थे कि आम आदमी देखकर ही डर जाए कि कहीं वह कब्रस्तान में तो नहीं आ गया। केंद्र को घूमने के बाद यहां एक ही चीज देखने मिली कि इसका उपयोग सिर्फ सर्वेक्षण टीम की आंखों में धूल झोंकने के लिए यानि फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी के लिए किया जाता है। इसके अलावा यहां किसी तरह का काम नहीं होता है।
पत्रिका ने कचरा प्रसंस्करण केंद्र तक पहुंचने के लिए आम रास्ते का उपयोग किया। जो कि बायपास से निकले हाइवे से पहाड़ की ओर है। यहां से हम कचरा फेकने वाली जगह तक तो पहुंच गए, लेकिन आगे जाने के लिए रास्ता ही नजर आया। दरअसल, नगरपालिका या अन्य ने यहां से आगे यानि कचरा प्रसंस्करण केंद्र तक पहुंचने वाले रास्ते के बीच में बड़ी-बड़ी नालियां खोद दी हैं। जिससे आगे कोई जा ही नहीं सके। जबकि बीच में कचरे के बड़े-बड़े ढेर लग गए हैं। इसके बाद हम किल्लाई गांव से दूसरे रास्ते से होकर कचरा प्रसंस्करण केंद्र तक पहुंचे। जहां वीरानी ही देखने मिली।
वर्शन
कचरा प्रसंस्करण केंद्र चालू नहीं है, इसकी जानकारी मुझे लगी है। उच्चाधिकारियों को जानकारी भेजी जा चुकी है। इसे लेकर रेकॉर्ड क्या है, काम होना दर्शाया जा रहा है, तो पता कर रहे हैं।