
Dam does not stop in water stop dam is farmed
बनवार. ग्राम पंचायत गूढ़ा में 15 लाख रुपए की लागत से बनाया गया। स्टापडेम में एक बूंद पानी नहीं रुक पाया है और वर्तमान में खेती हो रही है।
ग्राम पंचायत गूढ़ा में 14 लाख 96 हजार की लागत में स्टापडेम का निर्माण किया गया। लागत राशि को खुर्दबुर्द करते हुए ग्राम पंचायत के द्वारा स्टाडेम के नाम पर 20 फुट की दीवारें खड़ी कर दी गई। जल रोकने के लिए स्टॉप डेम के आगे मेढ़ बंधान कर दिया गया। जिसके नतीजन स्टॉपडेम में वर्षाकाल की समाप्ति पर बूंद पानी नहीं रुका। इसके अलावा स्टापडेम के अंदर खेती हो रही।
गौरतलब है कि नदी से 200 फुट की दूरी पर हनुमत खेड़ा में स्टापडेम का स्थल चयन पहले से ही अनुपयोगी था। वावजूद इसके उपयंत्रियों ओर ग्राम पंचायत ने मिलकर घटिया मटेरियल से स्टापडेम का निर्माण कराया। इस डेम में गेट भी नहीं लगाए गए हैं। कार्य को पूर्ण दर्शा कर लागत राशि आहरित कर ली गई है। क्षेत्र के नदी, नालों में किस तरह पानी की बर्बादी हो रही है, इसे देखना है तो मडिय़ादो अंचल में देख सकते हंै। गर्मियों में हर साल बूंद-बूंद पानी को तरसने वाले गांवों में जल संकट से मुक्ति दिलाने विभिन्न योजनाओं से लाखों खर्च कर स्टाप व चेक डेम बनाए गए थे। जो जीर्णशीर्ण अवस्था में होने के कारण पानी रोकने में अक्षम साबित हुए हैं। वहीं जिन स्टापडेमों में पानी रुक सकता है, वहां शटर गेट का अभाव है। परिणाम स्वरूप नदी नाले वर्षाकाल समाप्ति उपरांत ही खाली होते नजर आ रहे । उल्लेखनीय है कि बीते एक सप्ताह पहले वर्षाकाल समाप्ति उपरांत संग्रहित जलसुरक्षा की दृष्टि से नदी नालों पर बने स्टॉपडेमों पर कड़ी, शटर, गेट लगाकर बंद करने के निर्देश राज्य शासन के पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग व कमिश्रर सागर द्वारा दिए गए थे। इसके बावजूद लगातार नदी नालों से पानी बेकार बह रहा है। कई छोटे नाले तो बारिश रुकने के बाद खाली पड़े दिखाई दे रहे। बहोरन सिह का कहना है कि सुनार नदी के कटन घाट के ऊपर नदी में बने स्टापडेम से लगातार पानी बह रहा है। अगर इसे रोक दिया जाए तो गर्मियों में आधा ढाड़ी, कांटी, देवलाई सहित अन्य गांवों के रहवासियों को पानी की समस्या नहीं होगी ।
ऐसा ही हाल मडिय़ादो के कंचन, सरुआ, जोगीडाबर, दर्रा सहित कई नालों पर बने स्टापडेमों का है। देखरेख के आभाव में यह डेम जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच चुके हैं। अगर यहां सुधार करा दिया जाए या फिर अस्थाई व्यवस्था कर बोरीबंधान कर दिया जाए तो ग्रामीणों को गर्मियों में बड़ी राहत मिल सकती है।
Published on:
09 Oct 2018 12:41 pm
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