दमोह. इन दिनों साइबर अपराध से जुड़े मामले लगातार सामने आ रहे हैं। खासबात यह है कि पुलिस लोगों को साइबर ठगी से बचाने की पुरजोर कोशिश कर रही है, बावजूद बदमाश नित नए तरीकों से लोगों को अपना शिकार बनाते चले जा रहे हैं।
मामले में दमोह एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया है कि कुछ समय पहले तक चिटफंड के जरिए लोगों से ठगी की बात सामने आतीं थीं, लेकिन अब गांव गांव से साइबर ठगी के मामले में सामने आने लगे हैं। एसपी की माने, तो साइबर अपराध को अंजाम देने वाले, जिसको भी अपना निशाना बनाते हैं उसके विषय में पहले से स्टडी कर लेते हैं। वह ठगी के लिए विश्वास बनाने इस तरह से प्रस्तुतियां देते हैं कि शिक्षित व्यक्ति भी इनके झांसे में आसानी से आ जाता है। एसपी ने साइबर को लेकर मुख्य पांच बिंदु बताए हैं, जिनकी जानकारी से ठगी से बचा जा सकता है।
- सिम खरीदते समय रहें सतर्क
एसपी श्रुतकीर्ति ने बताया कि सिम खरीदते समय सावधानी बरतना सबसे पहले जरूरी है। क्योंकि हाल ही में, जो ठगी के मामले सामने आए हैं उसमें सिम खरीदने के दौरान दी गई जानकारियों के जरिए अपराधियों ने घटनाओं को अंजाम दिया है। इसके लिए सिम नेटवर्क कंपनी के अधिकृृत स्थान से ही खरीदी जाए। सिम बिक्री के लिए कई जगह स्टॉल लगे हो सकते हैं, जिनसे सिम नहीं खरीदनी चाहिए और न ही अपनी जानकारियां उपलब्ध करानी चाहिए। - सोशल मीडिया पर प्रोफाइल को शेयर न करें
ठगी करने वालों की नजर सोशल मीडिया उपयोगकर्ता की प्रोफाइल पर रहती है। दरअसल लोग अपनी पसर्नल जानकारियां शेयर कर देते हैं। जबकि हम कहां जा रहे हैं, किसके साथ मिलते हैं यह जानकारियां पर्सनल आईडी से शेयर नहीं करना चाहिए। क्योंकि यही जानकारी अपराधियों को मिलती। साइबर अपराधी व्यक्ति से जुड़े लोगों की जानकारी जुटा लेते हैं और वारदातों को अंजाम देने में सफल हो जाते हैं। इसलिए पर्सनल तथ्यों को शेयर नहीं करना चाहिए। - वाट्सअप फ्राड से इस तरह बचें
एसपी ने बताया कि वाट्सअप यूजर को उन फीचर्स की जानकारी रहना चाहिए, जो सिक्योरिटी के लिए होते हैं। अभी दो फीचर्स लांच हुए हैं। जिसमें अननॉन कॉल को साइलेंट करना और दूसरा फीचर्स आईपी एड्रेस की जानकारी सुरक्षित करने का फीचर्स शामिल है। यह दोनों फीचर्स सिक्योरिटी सेक्शन से ऑन किए जा सकते हैं। अननॉन कॉल से आने वालीं फ्राड से संबंधित लिंक को रोका जा सकता है। - हर व्यक्ति का जागरूक होना जरूरी
अपराध होने के बाद, जितना भी काम है वह पुलिस करती है। लेकिन पुलिस के काम करने की लिमिट रहती है। क्योंकि अपराध की सूचना पुलिस को देर से मिलती है साथ ही फ्राड करने वाले दूर बैठा होता है। ऐसे में सावधानी ही सबसे अधिक जरूरी है। क्योंकि अपराध को होने से रोकने पर ही अपराध में कमी लाई जा सकती है। एसपी ने कहा कि मेरा मानना है कि, जो भी सोशल मीडिया से जुड़ा है या स्मार्ट फोन यूज करता है, उसे फोन की सिक्योरिटी की जानकारी होना चाहिए। आज के समय में जितने भी यूजर्स हैं खासतौर से कम उम्र के युवाओं, बच्चों को अपनी प्रोफाइल को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए।
एसपी सोमवंशी ने बताया कि सोशल मीडिया पर कई तरह के मैसंजर एप्स हैं। इन एप्स पर अपनी वित्तीय जानकारी को शेयर नहीं करना चाहिए। अभी, जो फ्राड सामने आ रहे हैं उनमें एक लिंक मिलती है और उसे ओपन करने पर फ्राड करने वाला ब्लैकमेल करता है। इस तरह के मामले डिजिटल अरेस्ट के हो सकते हैं। इन परिस्थितियों में बगैर विलंब के नजदीकी थाने में, साइबर सेल पर या ऑनलाइन नेशनल साइड पर सूचना दें। साथ ही इस बात से निश्चिंत रहना चाहिए कि, आपकी जो भी इंफ्रामेशन है वह गुप्त रखी जाती है, इसलिए पुलिस से सूचना शेयर करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए।