दमोह

स्पा सेंटर कहें, या देह व्यापार का अड्डा, इस तरह हकीकत हुई उजागर

लगभग एक दर्जन सेंटर साल भर में ओपन हो गए। इन सेंटरों पर दिल्ली, अरुणाचल, मेघालय, मणिपुर, मुंबई की युवतियां काम कर रहीं हैं। सवाल यह है कि इन जगहों पर क्या बॉडी थेरिपी ही होती है, लेकिन इसका जवाब न है।

दमोहJul 11, 2024 / 11:25 am

pushpendra tiwari

दमोह. अचानक से दमोह शहर में स्पा सेंटर की बयार चल पड़ी है। लगभग एक दर्जन सेंटर साल भर में ओपन हो गए। इन सेंटरों पर दिल्ली, अरुणाचल, मेघालय, मणिपुर, मुंबई की युवतियां काम कर रहीं हैं। सवाल यह है कि इन जगहों पर क्या बॉडी थेरिपी ही होती है, लेकिन इसका जवाब न है। दरअसल इन में से कुछ सेंटर्स पर न सिर्फ बॉडी थेरपी की जाती है, बल्कि सीधे मायनों में देह व्यापार भी हो रहा है। बता दें कि लगातार सामने आ रहे ऐसे आरोपों की हकीकत जानने पत्रिका ने स्टिंग ऑपरेशन किया और टीम किल्लाई चौराहा के समीप संचालित ओशियान थाई स्पा सेंटर पर पहुंची। दोपहर का वक्त था इसलिए भीड़ कम थी और स्टाफ भीतर ग्राहक की प्रतीक्षा में था। काउंटर पर बैठे कर्मचारी पृथ्वीराज सिंह ने टीम को ग्राहक समझ लिया। इसके बाद शुरू हुई सेंटर में संचालित गतिविधियों की हकीकत सामने आना। मौजूद कर्मचारी ने कहा की यदि मसाज कराना है, तो एक हजार लगेंगे और अन्य कार्य के लिए तीन हजार रुपए अलग से लगेंगे। एक हजार रुपए काउंटर पर जमा होंगे और बाकी रुपए भीतर अटेंडर को देने होंगे। ..तो मोबाइल से दिखाईं तस्वीरें, कहा च्वाइस आपकी कर्मचारी ने अपने मोबाइल से कुछ युवतियों की तस्वीरें दिखाईं और कहा यह स्टाफ अभी हाल में मिलेगा। कर्मचारी से जब कहा की अंदर जो राशि देनी है वह कम करे और राशि काउंटर पर ही ले, जिस पर कर्मचारी मुश्किल से तैयार हुआ और कुल राशि में से पांच सौ रुपए कम कर दिए। इधर जब सेंटर पर संचालित अनैतिक गतिविधियों की हकीकत पूरी सामने आ गई, तो टीम मौके से निकल आई। पुलिस को दी खबर पत्रिका ने खुलेआम होने वाले इस देह व्यापार की जानकारी पहले सीएसपी को दी और एसपी को से इस संबंध में बात की। एसपी ने मौके पर कार्रवाई की बात कही। बता दें की शहर के स्पा सेंटर्स पर देह व्यापार हो रहा है, ऐसा एक जगह नहीं बल्कि अधिकांश सभी जगहों पर ऐसा होने की जानकारी है। खास बात यह है पुलिस इस मुद्दे को नजर अंदाज किए हुए है। इन सेंटर पर युवा प्रमुख रूप से पहुंच रहे हैं। मामले की हकीकत के सवाल जवाब टीम – जो युवतियां सेवाएं देंगी क्या वह नाबालिग हैं।स्पा कर्मी- नहीं जवान हैं, आंटियां नहीं हैं। सवाल- अभी कितना स्टाफ है। जबाव – स्टॉफ में अभी सिर्फ तीन हैं। सवाल – सेंटर के बाहर कहीं लड़कियों को भेजते हो। जबाव – नहीं, अब नहीं भेजते, जो भी लोग हैं वह यहीं आते हैं। एक बार दिक्कत हो गई थी। सवाल – रेट बहुत ज्यादा हैं। जबाव – अभी आप दो दिन पहले आते, तो चार हजार पांच हजार रुपए लगते, अभी तीन हजार हैं। सवाल- स्टाफ को कितनी सेलरी देते हो। जबाव – सेलरी नहीं, उनका कस्टमर से चलता है। सवाल – सेंटर पर पुलिस, तो नहीं आती। जबाव – नहीं आती, मिलता जुलता रहता हूं। वर्जन इन सेंटर पर औचक दबिश दी जाएगी। कुछ जगहों पर पहले जांच हुई, लेकिन मौके पर आपत्तिजनक सामने नहीं आया था। श्रुतकीर्ति सोमवंशी एसपी दमोह
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पुलिस विभाग द्वारा ऑनलाइन अधिकारिक साइड पर अपडेट नहीं की जा रही अपराधों संबंधी जानकारी
अपराधों की ग्राफ रेट से आमजन बने अनजान

पुलिस विभाग में सूचना के अधिकार की अनदेखी हो रही है। पुलिस विभाग अपराध संबंधी आंकड़ों को छुपाने में लगा हुआ है। इसका खुलासा खुद मध्यप्रदेश पुलिस की आधिकारिक बेवसाइट से हो रहा है। पुलिस द्वारा हर जिले के आपराधिक आंकड़े बेवसाइट पर सार्वजनिक किए जाते थे, लेकिन अब इन्हें बंद कर दिया गया है। जिससे किसी भी जिले के आपराधिक ग्राफ और क्राइम रेट के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं हो रही है। उधर पुलिस भी ऑफलाइन जानकारी देने से आनाकानी कर रही है। ध्यान देने वाली बात ये है कि 2023 तक माहवार आपराधिक आंकड़ों की रिपोर्ट तय समय पर जारी की जाती रही है। फिर अचानक से ये जानकारी बंद कर दी गई। आशंका जाहिर की जा रही है कि आपराधिक आंकड़े सार्वजनिक न करने के पीछे बढ़ते अपराधों को छुपाने की मंशा हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले जो आंकड़े जारी किए जा रहे थे, उनमें कई जिले ऐसे थे। जहां पराध दर लगातार बढ़ रही थी। इन जिलों में दमोह भी शामिल रहा है। हालांकि पुलिस विभाग से इस बात की अब तक पुष्टि नहीं हुई है कि लंबे अरसे से अपराध संबंधी आंकड़े अपडेट न करने की मूल वजह क्या है।
सितंबर 2023 से जारी नहीं हुए आंकड़े

महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध, नाबालिगों के विरुद्ध होने वाले अपराध और आइपीसी में दर्ज होने वाले अपराधों के आंकड़े हर माह एमपी पुलिस की आधिकारिक बेवसाइट पर अपलोड किए जाते हैं, लेकिन करीब 9 महीने से ये आंकड़े अपलोड या सार्वजनिक नहीं किए गए। आखिरी बार सितंबर 2023 में आंकड़े जारी किए गए थे। अक्टूबर 2023 से लेकर जून 2024 के अपराधों की जानकारी अब तक पब्लिश नहीं की गई है।
इधर वार्डों में चस्पा सालों पुरानी जानकारी

अपराध का ग्राफ कम करने के उद्देश्य से शहर में बीट बनाकर पुलिस की रात्रिकालीन गश्ती होती थी। गश्ती अब भी हो रही है, लेकिन अब रात्रिकालीन गश्ती की व्यवस्था स्पष्ट नहीं है। वार्ड में बीट बनाकर सालों पहले प्रभारी बनाए गए थे। अब बीट प्रभारी बदल चुके हैंए लेकिन वार्डों में सालों पुरानी जानकारी आज भी चस्पा है। पुलिस द्वारा जानकारी को बदलने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। ऐसे में एक तरफ जहां आम जनता में भ्रम की स्थिति है। गौरतलब है कि सालों पहले वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर रोस्टर बनाकर वार्डों में बीट प्रभारी लगाए गए थे। जो रात्रिकालीन गश्ती के लिए जिम्मेदार थे। इनका मुख्य कार्य रात के दौरान हुड़दंग मचाने वालों और गुंडा बदमाशों पर अंकुश लगाना था। कई बार बीट प्रभारी बदल गए, लेकिन वार्डों में पुरानी ही जानकारी चस्पा है।

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