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पुलिस विभाग द्वारा ऑनलाइन अधिकारिक साइड पर अपडेट नहीं की जा रही अपराधों संबंधी जानकारी
अपराधों की ग्राफ रेट से आमजन बने अनजान पुलिस विभाग में सूचना के अधिकार की अनदेखी हो रही है। पुलिस विभाग अपराध संबंधी आंकड़ों को छुपाने में लगा हुआ है। इसका खुलासा खुद मध्यप्रदेश पुलिस की आधिकारिक बेवसाइट से हो रहा है। पुलिस द्वारा हर जिले के आपराधिक आंकड़े बेवसाइट पर सार्वजनिक किए जाते थे, लेकिन अब इन्हें बंद कर दिया गया है। जिससे किसी भी जिले के आपराधिक ग्राफ और क्राइम रेट के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं हो रही है। उधर पुलिस भी ऑफलाइन जानकारी देने से आनाकानी कर रही है। ध्यान देने वाली बात ये है कि 2023 तक माहवार आपराधिक आंकड़ों की रिपोर्ट तय समय पर जारी की जाती रही है। फिर अचानक से ये जानकारी बंद कर दी गई। आशंका जाहिर की जा रही है कि आपराधिक आंकड़े सार्वजनिक न करने के पीछे बढ़ते अपराधों को छुपाने की मंशा हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले जो आंकड़े जारी किए जा रहे थे, उनमें कई जिले ऐसे थे। जहां पराध दर लगातार बढ़ रही थी। इन जिलों में दमोह भी शामिल रहा है। हालांकि पुलिस विभाग से इस बात की अब तक पुष्टि नहीं हुई है कि लंबे अरसे से अपराध संबंधी आंकड़े अपडेट न करने की मूल वजह क्या है।
पुलिस विभाग द्वारा ऑनलाइन अधिकारिक साइड पर अपडेट नहीं की जा रही अपराधों संबंधी जानकारी
अपराधों की ग्राफ रेट से आमजन बने अनजान पुलिस विभाग में सूचना के अधिकार की अनदेखी हो रही है। पुलिस विभाग अपराध संबंधी आंकड़ों को छुपाने में लगा हुआ है। इसका खुलासा खुद मध्यप्रदेश पुलिस की आधिकारिक बेवसाइट से हो रहा है। पुलिस द्वारा हर जिले के आपराधिक आंकड़े बेवसाइट पर सार्वजनिक किए जाते थे, लेकिन अब इन्हें बंद कर दिया गया है। जिससे किसी भी जिले के आपराधिक ग्राफ और क्राइम रेट के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं हो रही है। उधर पुलिस भी ऑफलाइन जानकारी देने से आनाकानी कर रही है। ध्यान देने वाली बात ये है कि 2023 तक माहवार आपराधिक आंकड़ों की रिपोर्ट तय समय पर जारी की जाती रही है। फिर अचानक से ये जानकारी बंद कर दी गई। आशंका जाहिर की जा रही है कि आपराधिक आंकड़े सार्वजनिक न करने के पीछे बढ़ते अपराधों को छुपाने की मंशा हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले जो आंकड़े जारी किए जा रहे थे, उनमें कई जिले ऐसे थे। जहां पराध दर लगातार बढ़ रही थी। इन जिलों में दमोह भी शामिल रहा है। हालांकि पुलिस विभाग से इस बात की अब तक पुष्टि नहीं हुई है कि लंबे अरसे से अपराध संबंधी आंकड़े अपडेट न करने की मूल वजह क्या है।
सितंबर 2023 से जारी नहीं हुए आंकड़े महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध, नाबालिगों के विरुद्ध होने वाले अपराध और आइपीसी में दर्ज होने वाले अपराधों के आंकड़े हर माह एमपी पुलिस की आधिकारिक बेवसाइट पर अपलोड किए जाते हैं, लेकिन करीब 9 महीने से ये आंकड़े अपलोड या सार्वजनिक नहीं किए गए। आखिरी बार सितंबर 2023 में आंकड़े जारी किए गए थे। अक्टूबर 2023 से लेकर जून 2024 के अपराधों की जानकारी अब तक पब्लिश नहीं की गई है।
इधर वार्डों में चस्पा सालों पुरानी जानकारी अपराध का ग्राफ कम करने के उद्देश्य से शहर में बीट बनाकर पुलिस की रात्रिकालीन गश्ती होती थी। गश्ती अब भी हो रही है, लेकिन अब रात्रिकालीन गश्ती की व्यवस्था स्पष्ट नहीं है। वार्ड में बीट बनाकर सालों पहले प्रभारी बनाए गए थे। अब बीट प्रभारी बदल चुके हैंए लेकिन वार्डों में सालों पुरानी जानकारी आज भी चस्पा है। पुलिस द्वारा जानकारी को बदलने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। ऐसे में एक तरफ जहां आम जनता में भ्रम की स्थिति है। गौरतलब है कि सालों पहले वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर रोस्टर बनाकर वार्डों में बीट प्रभारी लगाए गए थे। जो रात्रिकालीन गश्ती के लिए जिम्मेदार थे। इनका मुख्य कार्य रात के दौरान हुड़दंग मचाने वालों और गुंडा बदमाशों पर अंकुश लगाना था। कई बार बीट प्रभारी बदल गए, लेकिन वार्डों में पुरानी ही जानकारी चस्पा है।