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दमोह

518 करोड़ खर्च हुए फिर भी 51 गांव में नहीं पहुंचा पानी, किसानों ने बता दी हकीकत

दमोह व पथरिया ब्लॉक के 51 गांवों की स्थिति। छूटे हुए 33 गांवों के लिए बनाया गया 187 करोड़ का प्रपोजल भी प्रशासकीय स्वीकृति के चलते अधर में लटका…।

दमोहNov 19, 2024 / 07:50 pm

आकाश तिवारी


पत्रिका लाइव

सीतानगर सिंचाई परियोजना के तहत जिन 51 गांवों में पानी पहुंचाने का दावा किया जा रहा है। असल में वहां पर खेतों की सिचाई के लिए किसान अभी भी परेशान हैं। किसानों को पाइप लाइन के जरिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। किसानों का यहां तक कहना है कि यदि इस सिंचाई परियोजना के भरोसे रहे तो किसान भूखे मर जाएंगे।
पत्रिका ने इसी संबंध में दमोह ब्लॉक अंतर्गत झिरा, नरसिंहगढ़ मोहली, सतारा, इमलीजोग, कारीजोग, खैजरा, बड़ागांव, रानगिर, सीतानगर के आसपास के गांव, मनकौरा, सिमरी, रामपुर भगवां आदि गांव के किसानों से बात की। अधिकांश ने पर्याप्त पानी न मिलने की बात बताई। उसके मुताबिक नई पाइप लाइनें अभी से क्षतिग्रस्त होने लगी हैं। पानी के प्वाइंट जगहों पर बनाए हैं, पर इक्का-दुक्का प्वाइंट से ही पानी आ रहा है।

बता दें कि परियोजना के स्वीकृत होने के दौरान 84 गांव प्रस्तावित थे, लेकिन सिर्फ 51 गांवों तक पानी पहुंच सका है। इनमें दमोह के 22 और पथरिया के 29 गांव शामिल हैं। छूटे हुए 33 गांव दमोह ब्लॉक के हैं।


16,200 हैक्टेयर सिंचाई का दावा…

विभाग का दावा है कि जिले के दमोह व पथरिया ब्लॉक में 16 हजार से अधिक हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई के लिए सीतानगर सिचाई परियोजना के जरिए पानी दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार 518 करोड़ रुपए की लागत से यह सिंचाई परियोजनाएं मंजूर की गई थी। इस परियोजना में 70 करोड़ रुपए शेष बचे थे।


187 करोड़ का प्रपोजल भेजा था शासन को

छूटे हुए 33 गांवों के किसानों को भी पानी के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि जल संसाधन विभाग द्वारा शासन को भेजी गई फाइल यहां से वहां घूम रही है। एक साल बीत चुका है, पर अभी तक जल संसाधन विभाग मंजूरी नहीं दिला सका है। इन गांवों के खेतों में पानी पहुंचाने के लिए 187 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था, जिसे मंजूरी के लिए शासन को भेजने की बात कही जा रही है।

सीतानगर सिंचाई परियोजना पूरी हो गई है। 51 गांवों में पानी खेतों की सिचाई के लिए दिया जाने लगा है। जहां तक इन गावों में पानी न मिलने की बात है तो मेरे पास कोई शिकायत नहीं आई है। 33 गांवों की बात है तो इनके लिए अलग से प्रपोजल भेजा गया है। प्रशासकीय मंजूरी मिलने के बाद ही प्रोजेक्ट शुरू हो पाएगा।
-शुभम अग्रवाल, ईई जल संसाधन विभाग

मेरी बीस एकड़ जमीन है, पर सिचाई के लिए कुएं के पानी पर ही निर्भर हैं। सीतानगर सिचाई परियोजना के तहत कोई पाइप लाइन नहीं बिछाई गई है।
गोविंद प्रसाद पटेल, किसान पिपरिया चंपत


थोड़ा-थोड़ा पानी छोड़ रहे हैं। 50 एकड़ खेत के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। अन्य माध्यमों से सिचाई करनी पड़ रही है।

-नारायण यादव, किसान झिरा निवासी

इस परियोजना के भरोसे यदि किसान रहे तो वह भूखे मर जाएगा। हमारे गांव में ९ प्वाइंट हैं, पर एक प्वाइंट से पानी सप्लाई हो रहा है। प्रेशर भी नहीं रहता है। ऊंचाई पर जाता ही नहीं है।
बलराम पटेल, किसान हरदौनी

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