दमोह

समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी के लिए १० केंद्र बनाए, किसान नहीं दिखा रहे दिलचस्पी

एमएसपी ६ हजार रुपए करने की जारी है मांग

दमोहNov 19, 2024 / 07:44 pm

Samved Jain

दमोह. जिले में इस बार सोयाबीन की फसल पर किसानों ने भरोसा जताया था। यही वजह थी कि बीते साल की तुलना में सोयाबीन इस बार डबल यानि ५० हजार हेक्टेयर में किसानों ने लगाया था। नई फसल आ चुकी है। ऐसे में मौजूदा भाव सुन किसानों को पसीना छूट रहा है। सोयाबीन फसल की उत्पादन लागत लगातार बढऩे और बिक्री मूल्य लगातार घटने से किसान परेशान हैं, जिससे किसानों में जमकर आक्रोश है। सोयाबीन की फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदने व सोयाबीन का मूल्य ६ हजार रुपए करने की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर गांव-गांव में आंदोलन की रणनीति भी बन रही हैं। यहीं वजह है सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए केंद्र शुरू होने के बाद किसान दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है। जबकि कृषि उपज मंडियों में किसान डाक रेट पर सोयाबीन बेच रहे है। विदित हो कि इसके पहले भी सोयाबीन खरीद के लिए केंद्र बनाए जा चुके हैं, लेकिन उस पर एक भी किसान नहीं पहुंचा था।
किसानों के अनुसार साल 2013-14 में सोयाबीन का मूल्य 4600 रुपए प्रति क्विंटल था और लागत राशि कम थी। वहीं, साल 2024 में 3800 से 4000 रुपए प्रति क्विंटल इसके दाम हैं। जबकि अगर एक एकड़ में जुताई, बुआई, खाद और कीटनाशक की लागत निकाली जाए तो यह 25 हजार 150 रुपए प्रति एकड़ पड़ती है। जबकि एक एकड़ में जो सोयाबीन पैदा होता है, वह आज के भाव अनुसार २० हजार रुपए का होता है, जिससे किसान को पांच हजार रुपए प्रति एकड़ घाटा हो रहा है। किसानों ने कहा कि यह कैसा लाभ का धंधा है, जिसमें उन्हें घर से ही पैसा लगाकर घाटा उठाना पड़े।
किसान बोले समर्थन मूल्य में भी हो रहा घाटा
किसान मोहन सिंह लोधी, अजय अहिरवार, हीरासींग गोंड का कहना है कि सोयाबीन राज्य की मुख्य फसल है और प्रदेश में सोयाबीन फसल ही किसानों की आर्थिक उन्नति का मुख्य स्त्रोत है। दिन-प्रतिदिन सोयाबीन की फसल उन्हें घाटे का सौदा साबित हो रही है। इस फसल की उत्पादन लागत बढ़ती जा रही और कीमत घटती जा रही है। अगर फसल के दाम नहीं बढ़ाए जाते तो किसानों को यह घाटे का सौदा साबित होगा, जिससे छोटे और मंझोले किसान कर्ज तले दब जाएंगे।
किसान मुकेश पटेल ने बताया कि सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, लेकिन इस भाव से बहुत कम दाम पर सोयाबीन मंडियों और व्यापारियों द्वारा खरीदा जा रहा है। जिससे किसानों को लगभग १ हजार से तेरह सौ रुपए का घाटा हो रहा है। जबकि दूसरी ओर डेढ़ माह बाद नया सोयाबीन आने वाला है। मंडियों में 4000 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को दाम मिल रहे हैं। इसमें किसानों को लागत खर्च निकलना भी मुश्किल जाएगा।
किसानों को सोयाबीन के चाहिए ६ हजार
भारतीय किसान संघ के प्रांतीय पदाधिकारी रमेश यादव ने बताया कि सरकार की गलत नीति के कारण सोयाबीन के भाव नहीं बढ़े हैं। वहीं किसानों द्वारा जो खेती किसानी में वस्तुएं इस्तेमाल की जाती है। उनके दामों में काफी बढ़ोतरी हुई है। खाद, दवाई, मजदूरी सारी चीजों में बहुत बढ़ोतरी हुई है। सरकार को किसानों के हित में आयात-निर्यात नीति पर गंभीरता से काम करना होगा। किसान सोयाबीन का मूल्य 6000 रुपए प्रति क्विंटल तय होना चाहिए। इस पर सरकार को विचार करना चाहिए।
वर्शन
सोयाबीन खरीदी के लिए १० केंद्र निर्धारित किए गए हैं। खरीदी अभी शुरू ही हुई है। ३१ दिसंबर तक का समय है। किसान रुक कर भी आ सकते है।
इंद्रपाल सिंह राजपूत, प्रबंधक विपणन

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