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जयपुर

सजा सुनते ही अासाराम की ‘हनीप्रीत’ हाे गर्इ अचेत, कहा-मैंने कुछ नहीं किया

जब आसाराम की सहयाेगी शिल्पी को बीस साल के कारावास की सजा सुनाई गई तो वह रो पड़ी। उसका कहना था कि मैंने कुछ नहीं किया।

जयपुरApr 26, 2018 / 10:51 am

Santosh Trivedi

Shilpi aka Sanchita Asaram
जयपुर। पिछले 56 माह से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद आसाराम को आश्रम की नाबालिग छात्रा से यौन दुराचार मामले में आजीवन कारावास व तीन लाख दो हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई।

आसाराम को जब दोषी करार दिया तो उसका चेहरा उतर गया। कुछ पल शांत रहकर वह राम नाम जपने लगा और फिर अचानक वह नाटकीय अंदाज में हंसने लगा। इसके बाद उसने जज से रहम की गुहार भी लगाई।
वकीलों के कंधे पर हाथ रखकर कहा- कुछ तो बोलो। इसके बाद जब जज ने आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई तो सन्न रह गया आैर अदालत में ही रो पड़ा। फिर कहा, ‘जैसी ऊपर वाले की मर्जी। हम यहीं रहेंगे।’
शिल्पी महिला जेल में कैदी नम्बर-76 होगी

वहीं जब आसाराम की सहयाेगी शिल्पी को बीस साल के कारावास की सजा सुनाई गई तो वह रो पड़ी। उसका कहना था कि मैंने कुछ नहीं किया। इस दौरान शिल्पी कुछ देर के लिए अचेत भी हो गई। शिल्पी महिला जेल में कैदी नम्बर-76 होगी। वह जेल परिसर में ही बनी महिला जेल में रहेगी।
आसाराम व शरद को सुरक्षा के लिहाज से अन्य बंदियों से अलग बैरक में रखा गया है। आसाराम की सहयोगी शिल्पी ने पीड़ित के परिजनों को यह मानने पर मजबूर किया था कि उस पर बुरी आत्मा का साया है।
शिल्पी के समझाने के बाद ही पीड़ित के घरवालों ने उसे जोधपुर आश्रम भेजा था। बाद में इसी नाबालिग पीड़िता ने आसाराम बापू पर रेप का आरोप लगाया था। साइकोलॉजी में मास्टर डिग्री ले चुकी शिल्पी मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा आश्रम की वार्डन थी।
ब्रेनवॉश करके लड़कियों को आश्रम भेजती थी शिल्पी

कॉल डिटेल्स में सामने आया कि शिल्पी, आसाराम बापू के और पीड़िता के परिवार से संपर्क में लगातार थी। लड़की के बलात्कार से एक हफ्ते पहले आसाराम और शिल्पी के बीच होने वाली बातचीत का सिलसिला बढ़ गया था।
पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि शिल्पी ब्रेनवॉश करके लड़कियों को आश्रम भेजती थी। यह भी कहा गया कि शिल्पी और आश्रम का मध्यस्थ शिवा उस दिन आश्रम में ही था, जब बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ।
जेल के कपड़े पहनने के साथ करना होगा काम
लाखों समर्थकों, भक्तों से घिरा रहने वाला और संत कहलाने वाला आसाराम अब जोधपुर सेंट्रल जेल का कैदी नम्बर 130 हो गया है। वह जेल के वार्ड नम्बर दो के बैरक नम्बर एक में रहेगा। उसके साथ पहले रसोईया प्रकाश रहता था, अब उसका सेवादार शरद रहेगा।
शरद का कैदी नम्बर 129 रहेगा। वह वार्ड दो के बैरक नम्बर दो में रहेगा। दोनों कैदी एक ही परिसर में रहेंगे। शिल्पी को सेंट्रल जेल परिसर में ही महिला जेल भेजा गया है। जेल में आसाराम काे काम भी करना हाेगा।

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