शुरू हो गया कोरोना वैक्सीनेशन के नाम पर फर्जीवाड़ा, ठगों ने बिछाए ऐसे जाल की कोई भी फंस जाए जानकारी के मुताबिक जूता विक्रेता का नाम नासिर है। नासिर के परिजनों ने पुलिस पर उसे 48 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखने का आरोप लगाया है। नासिर के पिता सलीम ने मीडिया को बताया कि उसे सोमवार सुबह हिरासत में लिया गया था और उसके बाद मामला दर्ज किया गया।
सिकंद्राबाद क्षेत्र की सर्किल अधिकारी नम्रता श्रीवास्तव ने कहा कि नासिर के खिलाफ धारा 153 ए, 323 सी और 504 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया है और उन्हें हिरासत में ले लिया गया है। आगे की जांच के लिए एक टीम को उस दुकान पर भेजा गया है जहां से उसने जूते खरीदे थे।
उन्होंने कहा कि एक संगठन के सदस्य जूते खरीदने गए थे और उसके बाद पुलिस को मामले की सूचना दी। सीओ ने कहा, “उनकी शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था।” उन्होंने संगठन के सदस्यों के नाम का उल्लेख नहीं किया था लेकिन सूत्रों ने कहा कि वे बजरंग दल के थे।
किसे लेनी चाहिए COVID-19 Vaccine और किसे नहीं? 10 जरूरी सवाल वहीं, सोशल मीडिया पर शेयर हुए एक वीडियो में नासिर कार्यकर्ताओं के एक समूह को समझाते हुए दिखा रहा है कि वह केवल जूते बेच रहा है और ब्रांड नाम के बारे में कुछ नहीं जानता था। वहीं, कार्यकर्ता उन्हें सलाह देते हुए दिखाई दे रहे हैं कि उसे अपने व्यापार को बुरे नाम से बचाने के लिए उस विशेष जूते को हटा देना चाहिए था।
विडंबना यह है कि ठाकुर फुटवियर कंपनी आगरा स्थित एक ब्रांड है जो छह दशकों से व्यापार कर रहा है। कंपनी TFC के नाम से जूते बेचती है और उसके पास ग्राहकों की अच्छी संख्या है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि नासिर असल ब्रांड के ही जूते बेच रहा था या नकली।
वहीं, पुलिस ने एक ट्वीट का हवाला देते हुए इस कार्रवाई को सही ठहराया है जिसमें दावा किया गया था, “अगर पुलिस ने मामले में कार्रवाई नहीं की होती, तो कई लोग गंभीर/अलग तरह से प्रतिक्रिया करते। इसलिए, पुलिस ने कानून के दायरे में कार्रवाई शुरू की।”
इबोला खोजने वाले डॉक्टर ने Disease X मिलने पर दी चेतावनी, कोरोना से ज्यादा जानलेवा नई बीमारियों का खतरा मामला बढ़ने के बाद इस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। समाजवादी पार्टी ने पुलिस की कार्रवाई की आलोचना की और कहा कि सरकार को ठाकुर ब्रांड नाम को मंजूरी देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
समाजवादी पार्टी के नेता और राज्य योजना आयोग के पूर्व सदस्य सुधीर पंवार ने कहा, “ऐसा लगता है कि पुलिस ने जल्दबाजी में अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने का काम किया क्योंकि जूता विक्रेता ने अपराध नहीं किया। वह थोक व्यापारी से खरीदकर जूते बेच रहा था। उन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने ठाकुर ब्रांड नाम को मंजूरी दी थी।”