मैक्स अस्पताल केस: बच्चों को मृत घोषित करने वाले दोनों डॉक्टरों को किया गया बर्खास्त मोटा बिल बनाने के लिए मरे हुए मरीज का हो रहा था इलाज
दरअसल, पटपड़गंज स्थित मैक्स अस्पताल पर आरोप लगा है कि डॉक्टरों ने मोटा बिल बनाने के चक्कर में एक मरीज की मौत के बाद भी उसका इलाज जारी रखा और इस बात की भनक मरीज के परिजनों को भी नहीं लगने दी। ये केस बिल्कुल ‘गब्बग इज बैक’ फिल्म के उस सीन की तरह है, जिसमें मरीज के मर जाने के बाद भी अस्पताल के डॉक्टर उसे जिंदा बताकर उसका इलाज करते रहते हैं। इसके जरिए वो परिवार से मोट पैसा ऐंठ लेते हैं।
दरअसल, पटपड़गंज स्थित मैक्स अस्पताल पर आरोप लगा है कि डॉक्टरों ने मोटा बिल बनाने के चक्कर में एक मरीज की मौत के बाद भी उसका इलाज जारी रखा और इस बात की भनक मरीज के परिजनों को भी नहीं लगने दी। ये केस बिल्कुल ‘गब्बग इज बैक’ फिल्म के उस सीन की तरह है, जिसमें मरीज के मर जाने के बाद भी अस्पताल के डॉक्टर उसे जिंदा बताकर उसका इलाज करते रहते हैं। इसके जरिए वो परिवार से मोट पैसा ऐंठ लेते हैं।
सर्जरी से पहले अस्पताल वालों ने जमा कराए थे साढे सात लाख रुपए
शुक्रवार को अस्पताल में इस मामले को लेकर जोरदार हंगामा भी किया गया, जिसके बाद पुलिस बुलानी पड़ गई। परिजनों का कहना है कि उनकी जानकार राजकुमारी राठौर नाम की एक मरीज को एक्सीडेंट के बाद यहां भर्ती कराया गया था। हालांकि इससे पहले उन्हें आगरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन चोट गंभीर होने की वजह से राजकुमारी राठौर को दिल्ली रेफर कर दिया गया। परिजनों का आरोप है कि मैक्स अस्पताल प्रशासन ने उनसे साढे सात लाख रुपए एक सर्जरी से पहले जमा करा लिए थे। इसके बाद डॉक्टरों की तरफ से कहा गया कि सर्जरी के बाद 8 मई को उनका हार्ट फेल हो गया, तब से वह वेंटिलेटर पर हैं।
शुक्रवार को अस्पताल में इस मामले को लेकर जोरदार हंगामा भी किया गया, जिसके बाद पुलिस बुलानी पड़ गई। परिजनों का कहना है कि उनकी जानकार राजकुमारी राठौर नाम की एक मरीज को एक्सीडेंट के बाद यहां भर्ती कराया गया था। हालांकि इससे पहले उन्हें आगरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन चोट गंभीर होने की वजह से राजकुमारी राठौर को दिल्ली रेफर कर दिया गया। परिजनों का आरोप है कि मैक्स अस्पताल प्रशासन ने उनसे साढे सात लाख रुपए एक सर्जरी से पहले जमा करा लिए थे। इसके बाद डॉक्टरों की तरफ से कहा गया कि सर्जरी के बाद 8 मई को उनका हार्ट फेल हो गया, तब से वह वेंटिलेटर पर हैं।
मैक्स अस्पताल केस: FIR में खुलासा, बच्चों को जिंदा रखने के लिए डॉक्टर्स ने मांगे थे 50 लाख रुपए परिजनों के हंगामे के बाद पुलिस तक पहुंचा मामला
परिजनों को बस यहीं से शक हुआ और उन्होंने पूरे मामले की तह तक जाने की सोची। इसके बाद हमने अस्पताल से एक रिपोर्ट मांगी, जिसे दूसरे अस्पताल के डॉक्टर को दिखाया तो उसने बताया कि मरीज तो मर चुकी है। राजकुमारी राठौर के भाई अर्जुन ने बताया है कि हमें मरीज से मिलने नहीं दिया जा रहा था और कुछ बताया भी नहीं जा रहा था। इसलिए शुक्रवार को हंगामा किया और पुलिस को बुलाया। हमें पूरा शक है कि वह अब इस दुनिया में नहीं है। अगर जिंदा है तो किसी दूसरे अस्पताल में रेफर कर दें, लेकिन अस्पताल दूसरे अस्पताल रेफर नहीं कर रहे हैं। इसलिए हमें शक है कि कुछ गड़बड़ है।
परिजनों को बस यहीं से शक हुआ और उन्होंने पूरे मामले की तह तक जाने की सोची। इसके बाद हमने अस्पताल से एक रिपोर्ट मांगी, जिसे दूसरे अस्पताल के डॉक्टर को दिखाया तो उसने बताया कि मरीज तो मर चुकी है। राजकुमारी राठौर के भाई अर्जुन ने बताया है कि हमें मरीज से मिलने नहीं दिया जा रहा था और कुछ बताया भी नहीं जा रहा था। इसलिए शुक्रवार को हंगामा किया और पुलिस को बुलाया। हमें पूरा शक है कि वह अब इस दुनिया में नहीं है। अगर जिंदा है तो किसी दूसरे अस्पताल में रेफर कर दें, लेकिन अस्पताल दूसरे अस्पताल रेफर नहीं कर रहे हैं। इसलिए हमें शक है कि कुछ गड़बड़ है।
अस्पताल प्रशासन ने आरोपों को किया खारिज
वहीं परिवार के इन आरोपों पर मैक्स अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज की हालत काफी गंभीर है। सर्जरी से पहले उन्हें बताया गया था कि रिकवरी के बहुत कम चांस है, लेकिन सर्जरी के तुरंत बाद मरीज को हार्ट अटैक आ गया। सीपीआर देकर उन्हें रिवाइव किया गया और तब से वह वेंटिलेटर पर है। कंडीशन क्रीटिकल है और जरूरी इलाज दिया जा रहा है।
वहीं परिवार के इन आरोपों पर मैक्स अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज की हालत काफी गंभीर है। सर्जरी से पहले उन्हें बताया गया था कि रिकवरी के बहुत कम चांस है, लेकिन सर्जरी के तुरंत बाद मरीज को हार्ट अटैक आ गया। सीपीआर देकर उन्हें रिवाइव किया गया और तब से वह वेंटिलेटर पर है। कंडीशन क्रीटिकल है और जरूरी इलाज दिया जा रहा है।