पुलिस चाहती तो इस घटना को रोक सकती थी?
टीम ने तो यहां तक कहा है कि अगर पुलिस चाहती तो इस घटना को रोक सकती थी। लेकिन पुलिसकर्मियों ने हिंसा की साजिश में शामिल होने पसंद किया। आपको बता दें कि 16 अप्रैल 2020 को महाराष्ट्र के पालघर ( Paulghar mob lynching ) जिले में एक हिंसक घटना के दौरान दो साधू 70 वर्षीय कल्पवृक्षगिरी और 35 वर्षीय सुशील गिरी के साथ ही उनके ड्राइवर नीलेश तेलगड़े की हत्या कर दी थी। यह घटना उस समय घटी जब तीनों गुरु महंत श्रीरामजी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अपनी कार से जा रहे थे। इस बीच गढ़चिंचले नाम गांव में इकठ्ठा हुई हिंसक भीड़ ने उनकी कार को रोक लिया और उसको पलट दिया। घटना के दौरान उग्र भीड़ ने पुलिस की मौजूदगी में ही भीड़ ने पीट-पीटकर तीनों लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी।
विवेक विचार मंच ने फैक्ट फाइंडिंग टीम बनाई
इस घटना के बाद मामले की जांच के लिए विवेक विचार मंच की ओर से सेवानिवृत्त न्यायाधीश अंबादास जोशी, संपादक किरण शेलार,पालघर जिले के ऐक्टिविस्ट संतोष जनाठे, रिटायर्ड सहायक पुलिस आयुक्त लक्ष्मण खारपड़े व कुछ वकील व सोशल वर्कर्स को लेकर फैक्ट फाइंडिंग टीम बनाई गई थी।