क्राइम

10 हजारी फंदे पर फांसी चढ़ेंगे निर्भया के दोषी, 7200 कच्चे धागों का अहम रोल

बिहार की बक्सर जेल में तैयार किए जा रहे निर्भया के दोषियों के लिए 10 फांसी के फंदे
जेल प्रशासन ने देश के कई जेलों को पत्र लिखकर उनके जल्लाद के बारे में जानकारी मांगी

Dec 11, 2019 / 11:13 am

Mohit sharma

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नई दिल्ली। निर्भया केस के अपराधियों को फांसी लगना तय हो गया है। निर्भया के दोषियों के लिए बिहार की बक्सर जेल में 10 फांसी के फंदे तैयार किए जा रहे हैं।

100 मीटर के एक फंदे की कीमत 10 हजार रुपए है। जेल प्रशासन ने देश के कई जेलों को पत्र लिखकर उनके जल्लाद के बारे में जानकारी मांगी है, जिससे जरूरत पड़ने पर उन्हें बुलाया जा सके।

आपको बता दें कि बक्सर जेल फांसी के फंदे बनाने में दक्षता के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है।

कहा जाता है कि संसद हमले के मामले में अफजल गुरु को मौत की सजा देने के लिए रस्सी के जिस फंदे का इस्तेमाल किया गया था, वह इसी जेल में तैयार किया गया था।

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बक्सर जेल के अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा के अनुसार “हमें पिछले सप्ताह जेल निदेशालय से फांसी के 10 फंदे तैयार करने के निर्देश मिले थे।

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हमें नहीं पता कि इन फंदों का इस्तेमाल कहां होगा। अभी तक चार से पांच फंदे बनकर तैयार हो गए हैं।” उन्होंने कहा कि संसद हमले के मामले में अफजल गुरु को मौत की सजा देने के लिए यहां के बने फंदे का इस्तेमाल किया गया था या नहीं, यह उन्हें नहीं पता है, लेकिन उन्हें सिर्फ यह याद है कि उस समय भी यहां से रस्सी के फंदे बनवाकर मंगाए गए थे।

 

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बक्सर जेल में फांसी के फंदे तैयार किए जाने का इतिहास कफी पुराना है। फंदे तैयार करने के लिए खास किस्म के धागों का इस्तेमाल किया जाता है और इसे बनाने में जिन कैदियों को लगाया जाता है, उसकी निगरानी दक्ष लोगों द्वारा की जाती है।

उन्हीं की निगरानी में फंदे तैयार किया जाते हैं और फिर जहां जरूरत होती है, वहां भेज दिया जाता है। जेल अधीक्षक अरोड़ा ने बताया कि फंदे बनाने के लिए पिछली बार जिस रस्सी का इस्तेमाल किया था, उसे 1725 रुपये की दर पर बेचा गया था।

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उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि महंगाई और इसमें इस्तेमाल होने वाले धागों की कीमतेंबढ़ी हैं, इसलिए इस बार फंदे वाली रस्सियों की कीमतें थोड़ी बढ़ सकती है।

 

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उन्होंने बताया कि बक्सर जेल में लंबे समय से फांसी के फंदे बनाए जाते हैं और एक फांसी का फंदा 7200 कच्चे धागों से बनता है। एक लट में करीब 154 धागे होते हैं, जिन्हें मिलाकर 7200 धागों का कर लिया जाता है।

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एक रस्सी बनाने में तीन से चार दिन लगते हैं, और यह काम पांच-छह कैदी करते हैं। इसे तैयार करने में थोड़ा मशीन का भी उपयोग किया जाता है।

इसकी विशेषता के संदर्भ में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह रस्सी आम रस्सियों से ज्यादा मुलायम रहती है तथा इसकी क्षमता 150 किलोग्राम वजन उठाने की रहती है।

 

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बहरहाल, कुछ लोग कयास लगा रहे हैं कि दिल्ली में सात साल पहले हुए निर्भया कांड के दोषियों को इस महीने के अंत में फांसी दी जा सकती है, जिसमें यहां बन रही रस्सियों का उपयोग हो सकता है।

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