इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन से पूछा था कि सत्र न्यायालय ने क्या दोषियों को फांसी देने का फैसला कर लिया है और क्या डेथ वारंट जारी किया जा चुका है। इन सवालों के जवाब तिहाड़ जेल प्रशासन को देने हैं।
इस संबंध में तिहाड़ जेल के महानिदेशक ने यह सुनिश्चित भी किया था कि अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पेटिशन फाइल की है। वहीं, अक्षय की ओर से क्यूरेटिव पेटिशन दायर करने वाले वकील एपी सिंह ने कहा कि मौजूदा याचिका को सुप्रीम कोर्ट को मंजूर करना चाहिए और इसे 5 मई 2017 के आदेश से अलग देखना चाहिए जिसमें दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी गई थी।
इस याचिका के मुताबिक, “याचिकाकर्ता की सजा को आजीवन कारावास के रूप में संशोधित कर दिया जाए क्योंकि यह उन सभी उद्देश्यों को पूरा करता है जिनका दावा मृत्युदंड में किया जाता है, कि निकट भविष्य में संभावित वास्तविकता से समाज की सेवा और रक्षा करता है, जिसमें सभी के लिए यातना और हत्या न्याय के साथ न्याय के समान है।”
याचिका में यह भी कहा गया है कि आपराधिक आश्रितों की कमी, निवारकता पर गलत निर्भरता, सुधार की संभावना, सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियां, संविधान पीठ के फैसले पर विचार न करना ऐसे तथ्य हैं जिनपर अदालतों द्वारा मृत्युदंड देते वक्त विचार नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल दिसंबर में अक्षय की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था।