दिल दहला देने वाली इस घटना के पीछे मुख्य साजिशकर्ता मो. शफी नामक तांत्रिक हैं। इसी ने महिलाओं से दोस्ती कर पहले उन्हें विश्वास में लिया और फिर उसका अपहरण कर नरबलि दिलवा दी। मामले में पुलिस ने मो. शफी, डॉक्टर भगवल सिंह और उसकी पत्नी लैला को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया। बता दें कि आधुनिकता के इस दौर में भी अधविश्वास को बढ़ावा देने दिल दहला देने वाली यह घटना केरल के पथानामथिट्टा जिले की है।
आज यहां के तिरुवल्ला से पुलिस ने एक घर के अंदर दो महिलाओं के क्षत-विक्षत शव मिले हैं। पुलिस ने बताया कि डॉक्टर दंपती को तांत्रिक ने यह पट्टी पढाई थी कि महिलाओं की बलि देने से घर में धन-संपत्ति बढ़ेगी। इसके बाद मुस्लिम तांत्रिक मो. शफी के कहने पर डॉक्टर भगवल सिंह और उसकी पत्नी लैला को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस के अनुसार काले जादू के चक्कर में ‘मानव बलि’ दी गई। इस केस में गिरफ्तार डॉक्टर दंपती और तांत्रिक मो. शफी को एर्नाकुलम की सत्र अदालत में पेश किया। कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 26 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इन पर मानव बलि का केस दर्ज किया गया है। पुलिस के अनुसार बदमाशों ने पहले महिलाओं की हत्या की और फिर उनके शवों के कई टुकड़े कर उन्हें तिरुवल्ला के पास एक घर में दफना दिया।
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पुलिस अधिकारियों का कहना है कि काले जादू के चक्कर में इन महिलाओं की बलि दी गई। आरोपियों ने धनवान बनने के लिए पूजा की थी, बलि के लिए इन महिलाओं से दोस्ती की गई और फिर अपहरण कर बलि दे दी। मृतकों की पहचान कदवंथरा निवासी पद्मम (52) और कालड़ी निवासी रोसिली (50) के रूप में हुई है। दोनों 26 सितंबर से लापता थीं।
मामले की जानकारी देते हुए कोच्चि के पुलिस आयुक्त सीएच नागराजू ने बताया कि हमने शफी से पहले पूछताछ की थी, लेकिन उसमें कोई सुराग नहीं मिला। वैज्ञानिक जांच के आधार पर ही हम घटनास्थल तक पहुंचे। शफी ही मुख्य साजिशकर्ता व आरोपी है। पुलिस ने बताया कि साजिश रचने वाला शख्स मानसिक तौर पर एक विकृत इंसान है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि मौत के घाट उतारने से पहले दोनों महिलाओं से दुष्कर्म तो नहीं किया गया है।
इधर इस मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने वाम मोर्चा सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इस घटना को अमानवीय बताते हुए कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। यह घटना न केवल महिला विरोधी है, बल्कि पर्दे के पीछे माकपा वर्कर व कट्टरपंथी हो सकते हैं।