दिल्ली हिंसा में शहीद हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत की असल वजह आई सामने, ऑटोप्सी रिपोर्ट में हुआ खुलासा दरअसल, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर समेत अन्य इलाकों में फैली हिंसा की प्रमुख वजह दिल्ली पुलिस की नाकामी को बताया जा रहा है। दिल्ली पुलिस की इंटेलीजेंस फेल होने के चलते ही हिंसा ने इतना बड़ा रूप ले लिया कि कई इलाकों में कर्फ्यू लगाने के साथ ही दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश तक जारी करने पड़े। दिल्ली पुलिस को अपनी रिजर्व फोर्स के अलावा थाने के 90 फीसदी से ज्यादा कर्मचारियों को तैनात करना पड़ा और रैपिड एक्शन फोर्स व दंगा रोधी फोर्स लगानी पड़ी।
ट्रंप के दिल्ली दौरे के साथ ही बढ़ी हिंसा पर लगाम न लगा पाने के बाद गृह मंत्रालय ने हालात पर काबू पाने की जिम्मेदारी मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोभाल को सौंपी। वहीं, मंगलवार रात ही दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर के रूप में एसएन श्रीवास्तव को तैनात किया गया।
बुधवार शाम को जब अजीत डोभाल मौजपुर में स्थानीय लोगों से बात कर रहे थे, तब उन्हें पुलिस की कई शिकायतें सुनने को मिलीं। डोभाल ने उन्हें समझाया कि जो हो गया उसे तो वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन अब आगे से कुछ नहीं होगा इसका भरोसा दिलाने आया हूं।
सीएम केजरीवाल ने दिल्ली हिंसा में शामिल लोगों का किया खुलासा, रतन लाल को 1 करोड़ मुआवजे की घोषणा इस बीच मौजपुर के जगदंबा पंचायती धर्मशाला की गली के पास किसी बात पर डोभाल बगल में चल रहे स्पेशल सीपी एसएन श्रीवास्तव पर भड़क गए। मीडिया-पब्लिक-पुलिस सभी की मौजूदगी में डोभाल ने श्रीवास्तव को कड़ाई बरतने के सख्त निर्देश दिए। उन्होंने श्रीवास्तव से कहा- मैं क्या फोर्स कर रहा हूं क्या। आप लोग अपने आप को.. और इसके बाद उनकी आवाज शोर में दब गई।
हालांकि इस दौरान डोभाल की बॉडी लैंग्वेज और स्पेशल सीपी श्रीवास्तव को अपने हाथ से किनारे करने के बाद इधर-उधर करने से यह बिल्कुल साफ हो गया कि वह दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं थे।
वहीं, डोभाल के गुस्से को भांपते हुए दिल्ली पुलिस के अन्य अधिकारी जैसे प्रवक्ता रंधावा, सूर्या व डीसीपी पहले से ही पीछे चल रहे थे। डोभाल बुधवार को जिस रणनीति के साथ पहुंचे थे, उसे लागू करने में कामयाब भी दिखे। उन्होंने दिल्ली पुलिस को हड़काया और स्थानीय लोगों का भरोसा जीता, ताकि हालात नियंत्रण में रहें।
दिल्ली हिंसा के दौरान पत्रकारों पर हमले, कई इलाकों में पहले पूछ रहे हैं धर्म और फिर कर रहे हैं अटैक इससे पहले मंगलवार रात जाफराबाद और बाबरपुर-मौजपुर चौक में स्थिति की समीक्षा के बाद उन्होंने गृह मंत्रालय को इसकी रिपोर्ट दी थी और बुधवार को दौरे के बाद फिर गृह मंत्रालय पहुंचे और ताजा हालात बयां किए। मौके के हालात देखकर डोभाल भी तकरीबन इस बात को मानने के लिए मजबूर हुए कि इसके पीछे दिल्ली पुलिस की नाकामी रही।
कौन हैं एसएन श्रीवास्तव गृह मंत्रालय ने मंगलवार रात सीआरपीएफ के महानिदेशक (प्रशिक्षण) आईपीएसस अधिकारी एसएन श्रीवास्तव को दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (कानून और व्यवस्था) के रूप में नियुक्त किया। श्रीवास्तव 1985 बैच के AGMUT कैडर के हैं। इनकी गिनती तेज-तर्रार अफसरों में होती है। अपने ‘कोई-बकवास नहीं’ यानी नो-नॉनसेंस रवैये के लिए प्रसिद्ध अधिकारी को पहले कश्मीर में आतंक के खात्मे का जिम्मा सौंपा गया था।
भाजपा नेता ने दिल्ली हिंसा का ठीकरा फोड़ा अदालत के ऊपर, कहा- सुनवाई कर ली होती तो ऐसे नहीं होते हालात वर्ष 2017 में दक्षिण कश्मीर में सीआरपीएफ ने श्रीवास्तव के साथ मिलकर कई एंटी-टेरर ऑपरेशंस को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इनमें ‘ऑपरेशन ऑल-आउट’ के अंर्तगत कई ऐसे एनकाउंटर भी हैं, जिनमें हिजबुल मुजाहिदीन के कई टॉप कमांडर्स को ठोक डाला गया।