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क्या है मामला…
यह मामला 1996 का है। 1996 में सेना के इंजीनियरिंग सेवा में कार्यकरत एक पिता के खिलाफ उनकी बेटी ने 1991 से लगातार रेप का आरोप लगाया। तब उस वक्त वे जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में रहते थे। जांच के बाद ट्रायल कोर्ट ने उसे 10 साल की सजा सुनाई। लेकिन इसी साल फरवरी, 2018 में उसकी मौत हो गई। फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने माना की आरोपी पिता लगातार खुद को निर्दोष बताता रहा। उसने जांच में गड़बड़ी की बात कही। लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी। ट्रायल के दौरान व्यक्ति ने बताया भी कि उसकी बेटी का एक लड़के ने अपहरण किया और उसके साथ यौन संबंध बनाए, जिसके बाद वह गर्भवती हुई। लेकिन, पिता के हर दावे को नकारते हुए जांच एजेंसी ने उनकी एक बात नहीं सुनी। बेकसूर पिता लगातार डीएनए जांच की भी मांग करता रहा, लेकिन इसे भी नज़रअंदाज किया गया। लेकिन लड़की की मां ने अपने पति को न्याय दिलाने के लिए आखिर तक लड़ाई लड़ी।
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अदालत ने जाहिर की चिंता
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, जांच पूरी तरह एक तरफा थी। कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले पर अदालत सिवाय अफसोस जाहिर करने के और कुछ नहीं कर सकता। केस में ऐसे कई तथ्य और परिस्थितिया थी जिसे ट्रायल कोर्ट ने अंदेखा किया और एक व्यक्ति को बीना की गलती के सजा भुगतनी पड़ी।
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