क्या कहा TRAI ने? मोबाइल पर भेज गए मैसेज में ‘जरूरी सूचना’ शीर्षक के साथ TRAI ने कहा है कि ट्राई मोबाइल टावर के लगाने के लिए कोई NOC नहीं देता है। अगर कोई धोखेबाज आपके पास फर्जी लेटर लेकर आए तो इसकी जानकारी संबंधित सर्विस प्रोवाइडर को और स्थानीय पुलिस को दें।
बता दें कि ट्राई को बीते कुछ वर्षों में ऐसी धोखाधड़ी की काफी शिकायतें मिली हैं जिसमें धोखेबाज लोगों से उनके घर की छत और जमीन पर दूरसंचार टावर लगवाने की परमिशन दिलवाने और टावर लगवाने के नाम पर ठगते हैं। फ्रॉडस्टर लोगों की मोटी रकम लेकर गायब हो जाते हैं।
बीते साल वायरल हुई थी ऐसी खबरें पिछले साल सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हुई थी कि भारत सरकार के दूससंचार विभाग एक नई स्कीम लेकर लाया है, जिसके तहत अलग-अलग जगहों पर मोबाइल टावर लगाने के लिए नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे रहा है। फ्रॉड ग्रुप के सदस्य इसके नाम पर फर्जीवाड़े की फिराक में थे।
तब पीआईबी फैक्ट चेक (PIB Fact Check) ने इसका खंडन करते हुए बताया था कि यह दावा बिल्कुल झूठ है और दूससंचार विभाग ऐसे कोई सर्टिफिकेट जारी नहीं करता है। इसलिए ऐसी अफवाहों और जालसाजों से दूर रहें। बता दें कि धोखेबाज फेक डॉक्यूमेंट्स दिखाकर लोगों से पैसे की मांग करते हैं और पैसे लेकर गायब हो जाते हैं।
ऐसे मैसेज से रहें सतर्क अगर आपके पास भी इस तरह के मैसेज आते हैं तो सावधान हो जाएं। कई बार मैसेज में एक लिंक आता है और आपको लिंक पर क्लिक करके फॉर्म भरने के लिए कहा जाता है। इस तरह के लिंक पर क्लिक करें न करें और न ही फॉर्म को भरकर अपने बारे में किसी भी तरह की कोई जानकारी दें। अगर किसी तरह आपसे पैसे की मांग की जाती है, तो इससे भी बचें, आप धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं। आप ऐसे कॉल, मैसेज या ईमेल के बारे में पुलिस में भी शिकायत कर सकते हैं।
किनके पास है मोबाइल टावर लगाने का लाइसेंस? मोबाइल टावर लगाने का लाइसेंस चुनिंदा टेलीकॉम ऑपरेटर्स ओर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स के पास है। इनमें इंडस टॉवर्स लिमिटेड, एटीसी, भारती इन्फ्राटेल आदि जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदाता के अलावा रिलायंस जियो, एयरटेल, वीआईएल, बीएसएनएल, एमटीएनएल जैसे टेलीकॉम सेवा प्रदाता शामिल हैं।
इन कंपनियों के अधिकारियों से अनुमति मिल जाने के बाद टॉवर इंस्टॉल करने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। इन अधिकारियों में केंद्र, राज्य सरकारें, स्थानीय अधिकारी, निकाय, कंपनियां या केंद्र या राज्य सरकार द्वारा स्थापित या इनकॉर्पोरेट किए गए संस्थान या कंपनियां शामिल होती हैं।
यहां भी दर्ज करा सकते हैं शिकायत यह आवश्यक है कि लोगों को नियमों और निर्धारित प्रक्रियाओं की जानकारी रहे, ताकि वो टॉवर के मामले में जालसाजों का शिकार न बनें। देश में किसी भी गांव या शहर से नेशनल कंज़्यूमर हैल्पलाईन 14404 या 1800-11-4000 पर कॉल करके इस मामले में जानकारी ली जा सकती है। आप चाहें तो www.consuMerhelpline.gov.in पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
यूं तो घर की छत, खेत-बगीचा या परती जमीन वगैरह में मोबाइल टावर (Mobile Tower) लगवाना एक निश्चित कमाई का जरिया होता है। इसके लिए टेंडर वगैरह की तरह बकायदा एक निश्चित प्रक्रिया होती है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में टावर लगवाने के नाम पर फ्रॉड के मामले भी खूब बढ़े हैं। ऐसे में समय-समय पर सरकार आम लोगों को सावधान करती रहती है।
ऐसे मैसेज से रहें सतर्क अगर आपके पास भी इस तरह के मैसेज आते हैं तो सावधान हो जाएं। कई बार मैसेज में एक लिंक आता है और आपको लिंक पर क्लिक करके फॉर्म भरने के लिए कहा जाता है। इस तरह के लिंक पर क्लिक करें न करें और न ही फॉर्म को भरकर अपने बारे में किसी भी तरह की कोई जानकारी दें। अगर किसी तरह आपसे पैसे की मांग की जाती है, तो इससे भी बचें, आप धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं। आप ऐसे कॉल, मैसेज या ईमेल के बारे में पुलिस में भी शिकायत कर सकते हैं।
किनके पास है मोबाइल टावर लगाने का लाइसेंस? मोबाइल टावर लगाने का लाइसेंस चुनिंदा टेलीकॉम ऑपरेटर्स ओर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स के पास है। इनमें इंडस टॉवर्स लिमिटेड, एटीसी, भारती इन्फ्राटेल आदि जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदाता के अलावा रिलायंस जियो, एयरटेल, वीआईएल, बीएसएनएल, एमटीएनएल जैसे टेलीकॉम सेवा प्रदाता शामिल हैं।
इन कंपनियों के अधिकारियों से अनुमति मिल जाने के बाद टॉवर इंस्टॉल करने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। इन अधिकारियों में केंद्र, राज्य सरकारें, स्थानीय अधिकारी, निकाय, कंपनियां या केंद्र या राज्य सरकार द्वारा स्थापित या इनकॉर्पोरेट किए गए संस्थान या कंपनियां शामिल होती हैं।
यहां भी दर्ज करा सकते हैं शिकायत यह आवश्यक है कि लोगों को नियमों और निर्धारित प्रक्रियाओं की जानकारी रहे, ताकि वो टॉवर के मामले में जालसाजों का शिकार न बनें। देश में किसी भी गांव या शहर से नेशनल कंज़्यूमर हैल्पलाईन 14404 या 1800-11-4000 पर कॉल करके इस मामले में जानकारी ली जा सकती है। आप चाहें तो www.consumerhelpline.gov.in पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
यूं तो घर की छत, खेत-बगीचा या परती जमीन वगैरह में मोबाइल टावर (Mobile Tower) लगवाना एक निश्चित कमाई का जरिया होता है। इसके लिए टेंडर वगैरह की तरह बकायदा एक निश्चित प्रक्रिया होती है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में टावर लगवाने के नाम पर फ्रॉड के मामले भी खूब बढ़े हैं। ऐसे में समय-समय पर सरकार आम लोगों को सावधान करती रहती है।