एनडी टीवी को एक वरिष्ठ अधिकारी को बताया, साल 2009 में शोपियां की आसिया और नीलोफर की डूबने से मौत हो गई थी, जिसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गलत साबित करने में पाकिस्तान के साथ सक्रिय रूप से काम वाले डॉ. बिलाल अहमद दलाल और डॉ. निगहत शाहीन चिल्लो को बर्खास्त कर दिया गया है। इन पर सबूतों के साथ हेरफेर और गलत सबूत गढ़ने का भी आरोप है।
बता दें कि जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिंहा ने सीबीआई द्वारा चार्जशीट दाखिल करने के बाद संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत दोनों चिकित्सकों पर कार्रवाई की है। सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा कि डॉ. चिल्लू ने अपना सैंपल देकर उसे आसिया का सैंपल बताया और दावा किया कि आसिया के साथ बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। इसके बाद एम्स की एक फोरेंसिक टीम ने शवों की फिर से जांच की और पाया कि आसिया के साथ रेप नहीं हुआ था। इस टीम में डॉ. टी. डी. डोगरा और डॉ. अनुपमा रैना भी थे।
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42 दिनों तक सुलगती रही घाटी…600 से ज्यादा दर्ज हुई थे मामलेगौरतलब है कि 30 मई साल 2009 को जम्मू – कश्मीर के सोपियां में आशिया जान और लीलोफर नाम की दो महिलाओं की लाश मिली थी। जिसके बाद यह आरोप लगाया गया था कि सुरक्षाकर्मियों ने उनके साथ पहले रेप किया, फिर उनकी हत्या कर दी। इस घटना के बाद जम्मू – कश्मीर में 42 दिनों तक दंगा भड़का रहा।
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CBI ने दाखिल की चार्जशीटजिसके बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी, जिसमें पाया गया कि दोनों महिलाओं के साथ कभी बलात्कार या हत्या नहीं हुई। सरकारी आकड़ों के मुताबिक, जनू 2009 से सात महीने बाद यानी दिसंबर 2009 तक हुर्रियत जैसे समूहों ने 42 हड़ताल की, जिसके बाद घाटी में काफी दंगे हुई और लोगों की जानें गईं। इस दौरान जम्मू – कश्मीर में लगभग 600 से ज्यादा छोटे बड़े मामले दर्ज किए गए थे। CBI ने अपनी चार्जशीट में 13 लोगों पर घाटी में दंगा भड़काने और षड़यंत्र रचने का आरोप लगाया है।