कुंबले ने धोनी का जगाया आत्मविश्वास
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया सबसे पहले 2007 का टी-20 विश्व कप जीती। उस समय अनिल कुंबले टेस्ट टीम की कप्तानी कर रहे थे। श्रीकांत ने कहा कि धोनी टी-20 विश्व कप इसलिए टीम इंडिया को दिला सके, क्योंकि उन्होंने टीम का नेतृत्व शानदार ढंग से किया। इससे उनका भी आत्मविश्वास बढ़ा। इसके अलावा श्रीकांत ने यह भी कहा कि सौरव गांगुली के आक्रामक स्वभाव से अलग धोनी शांत और कूल हैं। वह युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि जब कुंबले टेस्ट टीम के कप्तान थे तो धोनी के पास सीखने के लिए बहुत कुछ था। अनिल कुंबले ने उन्हें अनुभव और आत्मविश्वास दिया।
2014 में धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। टेस्ट में उनकी जगह वृद्धिमान साहा ने ली। 2017 में वनडे की कप्तानी भी छोड़ दी। उनकी जगह विराट कोहली ने ली। श्रीकांत ने कहा कि हालांकि धोनी युग के बाद भी बहुत से खिलाड़ी उनकी विरासत संभालने के लिए सामने आए, लेकिन इसके लिए कोहली को ही उपयुक्त माना गया। श्रीकांत ने कहा कि धोनी को भारतीय क्रिकेट में बड़े बदलाव लेकर आए। उनका मानना है कि धोनी के राष्ट्रीय टीम में शामिल होने से पहले टीम में अधिकांश खिलाड़ी मेट्रो सिटीज के हुआ करते थे, जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई आदि।
महेंद्र सिंह धोनी की विरासत के बारे में श्रीकांत ने कहा कि जब धोनी जैसा कोई खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह बनाता है तो न सिर्फ उसमें, बल्कि पूरी क्रिकेट टीम के पावर हाउस में बदलाव आता है। धोनी की पाकिस्तान के खिलाफ 148 रनों की पारी ने उन्हें आत्मविश्वास दिया था। बता दें कि धोनी का जब टीम में चयन हुआ था तो वह पहले तीन एकदिवसीय मैच में महज 19 रन ही बना पाए थे, लेकिन चौथी पारी में उन्होंने 148 रन की विस्फोटक पारी खेली थी।